सर्वशिक्षा अभियान में घोटाले की खबर से सरकार हैरान
१६ जून २०१०वैसे भारत सरकार अब भी कह रही है कि सर्वशिक्षा अभियान की निगरानी के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. ब्रिटिश सरकार के जांच के आदेश देने के एक दिन बाद स्कूली शिक्षा विभाग ने कहा है कि वह इस बारे में वित्त मंत्रालय और विदेश मंत्रालय को पत्र लिखेगा. ब्रिटेन के अंतरराष्ट्रीय विकास मंत्री एंड्रयू मिशेल ने एक दिन पहले कहा कि ब्रिटिश सरकार भ्रष्टाचार को बिल्कुल सहन नहीं करेगी.
ब्रिटेन के अखबार द न्यूज ऑफ द वर्ल्ड ने भारत के ऑडिटर जनरल के हवाले से बताया है कि करीब 1 करोड़ 40 लाख पाउंड खर्च कर विलासिता की ऐसी चीजें खरीदी गईं जिनका स्कूलों से कोई लेना देना नहीं है. हालांकि मानव संसाधन विकास मंत्रालय का कहना है कि सारे खर्चे तयशुदा मदों में ही किए गए हैं.
सर्व शिक्षा अभियान के कुल खर्चे का करीब छह फीसदी ऑफिस और मैनेजमेंट के खर्च के रुप में किया जा सकता है. इनमें ऑफिस के लिए उपकरण, गाड़ियां, ऑफिस का किराया, कर्मचारियों के वेतन जैसे कामों पर खर्च शामिल हैं.
मानव संसाधन विकास यानी एचआरडी मंत्रालय का कहना है कि अभियान के खर्चों की निगरानी के लिए पक्के इंतजाम किये गये हैं. इनमें स्वतंत्र एजेंसियों के जरिए लगातार खर्चों पर निगाह रखी जाती है. इसके अलावा चार्टर्ड एकाउंटेंटे से सालाना ऑडिट, राज्यों में इंटरनल ऑडिट होता है.
इतना ही नहीं कंप्ट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल भी थोड़े-थोड़े दिनों पर इसके खातों की जांच करते रहते हैं. किसी भी तरह की गड़बड़ी होने पर कड़ाई से निबटा जाता है. राज्य खुद अपनी तरफ से भी जांच कर सकते हैं और एफआईआर दर्ज करा सकते हैं. केंद्र सरकार के पास तो कार्रवाई करने के अधिकार हैं ही.
सर्वशिक्षा अभियान सरकार की प्राथमिकता वाले कार्यक्रमों में से एक है. इस अभियान में सबके लिए प्राथमिक शिक्षा मुहैया कराने का लक्ष्य है. इस लक्ष्य को तय समय सीमा के भीतर पूरा करना है. सरकार ने इसके लिए अब तक 91,431 करोड़ रुपये खर्च किये हैं.
अभियान के खर्च में कुछ भागीदारी वर्ल्ड बैंक, यूरोपीय संघ और डिपार्टमेंटर फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट जैस अंतराराष्ट्रीय संगठनों की भी है. 2004 से 2007 के बीच इस मद में अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने करीब 4700 करोड़ रुपये की मदद दी. 2007 से 2010 के बीच भी करीब 4330 करोड रुपये अंतरराष्ट्री संगठनों की तरफ से आए.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एन रंजन
संपादन:एस गौड़