1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

सरकार को साढ़े छह हजार करोड़ में पड़ेगा अकाल

१२ मई २०१६

अगर आप अकाल की तस्वीरों को टीवी या फेसबुक पर देखकर तसल्ली कर लेते हैं कि आप पर इसका असर नहीं होगा तो आप भ्रम में हैं. अकाल हम सबके लिए है.

https://p.dw.com/p/1IlpV
Indien Telangana Trockenheit Wassermangel
तस्वीर: Getty Images/AFP/N. Seelam

भारत के 10 राज्यों के कुल 256 जिले अकाल का शिकार हैं. इस अकाल से सरकार को 6 लाख 50 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होगा.
देश के 33 करोड़ लोग यानि देश की करीब एक चौथाई आबादी अकाल से प्रभावित है, लेकिन हैरानी कि बात ये है कि आधे से ज्यादा लोगों को पता भी नहीं है कि अकाल कैसा है, कहां है. पर अगर आप सोच रहे हैं कि आप अकालग्रस्त जिलों में नहीं रहते हैं इसलिए आप पर कोई असर नहीं होगा तो आप भ्रम में हैं. यह अकाल हमें यानी भारत सरकार को साढ़े छह हजार करोड़ रुपये में पड़ेगा. एक स्टडी में यह बात सामने आई है.


दो साल से मॉनसून खराब रहा है. इस वजह से पोखरों और तालाबों में पानी बहुत कम है. भूजल का स्तर भी बहुत कम हो गया है. एसोचैम की स्टडी बताती है कि इसका सीधा असर हम सबकी जेब पर होगा. स्टडी बताती है, ''मान लीजिए कि सरकार अकालग्रस्त लोगों के लिए एक या दो महीने तक 3,000 रुपये खर्च करेगी. 33 करोड़ लोग प्रभावित हैं. यानी कुल खर्च 100 करोड़ रुपये मासिक होगा.''


अकाल की वजह से बिजली, खाद और अन्य सुविधाओं पर जो सब्सिडी देनी पड़ेगी, उसका खर्च अलग है. जो पैसा विकास के अन्य कामों पर खर्च होना था, अकाल की वजह से उसे वहां खर्च नहीं किया जा सकेगा बल्कि पीड़ितों की मदद पर खर्च करना होगा. इसका असर विकास कार्यों पर पड़ेगा. शहरों में रहने वाले भी प्रभावित होंगे.


स्टडी कहती है कि अकाल की वजह से कृषि कर्ज बढ़ेगा. मवेशियों की मौत और फसल का नुकसान किसान को झेलना होगा तो उसे राहत देनी होगी. बच्चों और महिलाओं की सेहत पर भी असर पड़ेगा.
यानी यह अकाल सिर्फ 256 जिलों में रहने वाले 33 करोड़ लोगों के लिए नहीं है, हम सबके लिए है.

वीके/आरपी (पीटीआई,एएफपी)