समुद्रों पर मंडराते पांच खतरे
धरती के दो-तिहाई हिस्से पर समंदर का राज है. समंदर न सिर्फ जीवों को बल्कि इंसानों को भी भोजन, ऊर्जा और अन्य संसाधन उपलब्ध कराता है. लेकिन अब पानी के अंदर की यह दुनिया मानवीय क्रियाकलापों के चलते खतरे में नजर आ रही है.
मछलियों की कमी
दुनिया के तमाम देशों में लोगों का मुख्य आहार मछलियां और सीफूड है. खाने-पीने की ये आदतें कम आय वाले देशों में अधिक नजर आती हैं. अब लोग पहले के मुकाबले अधिक मछलियां और समुद्री जीवों का सेवन करते हैं और अब मांग की भरपाई प्राकृतिक तरीकों से करना मुश्किल है. लेकिन इस मानवीय आदत ने समुद्री जीवों के अस्तित्व पर सवाल उठा दिये है.
समुद्रों में बढ़ता अम्ल
औद्योगिकीकरण के बाद देश-दुनिया में कार्बन उत्सर्जन एक बड़ा मसला बन कर उभरा है. वातावरण में कार्बन डॉयआक्साइड का स्तर 40 फीसदी बढ़ा है और इसका एक बड़ा हिस्सा समंदर में भी घुल गया है. समंदर में कार्बन डॉयआक्साइड का बढ़ता स्तर अम्लीकरण करता है जिससे इसकी पीएच वैल्यू में गिरावट आती है. मतलब अब समंदर बेसिक से ज्यादा एसिडिक हो रहा है.
बढ़ता प्रदूषण
बढ़ती आबादी और कचरे प्रबंधन के अभाव ने समंदर में कचरे के स्तर को बढ़ा दिया है. समुद्र अब जहाजों और तटीय इलाकों के आसपास रहने वाले लोगों के लिए कचरा डालने का बड़ा ठिकाना बन गये हैं. हालांकि अब लोगों में जागरुकता जरूर बढ़ी है लेकिन अब भी टनों कचरा यहां फेंका जाता है. इस कचरे को खाना समझकर जीव खा लेते हैं और इनकी मौत हो जाती है.
गर्म होती दुनिया
समुद्र न सिर्फ कार्बन डॉयआक्साइड का भंडारण कर लेते हैं बल्कि यह ताप को भी सोख लेते है. मानवीय क्रियाओं से उत्सर्जित होनी वाली कार्बन डॉयआक्साइड की तकरीबन 93 फीसदी गर्मी और ताप को ये समंदर सोख लेते हैं और पानी को तापमान बढ़ा देते हैं. पानी का बढ़ता तापमान समुद्री जीवों और खासकर कोरल्स के लिए एक बड़ी समस्या बन गया है.
संसाधनों की चाह
पानी के भीतर की यह दुनिया सिर्फ समुद्री जीव-जंतुओं का घर ही नहीं है बल्कि यहां कई संसाधन भी उपलब्ध है. मसलन समुद्र के अंदर मैग्नीज अलग-अलग रूपों में मिलता है जिसका इस्तेमाल स्टील में किया जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक जमीन की तुलना में समुद्र के अंदर 7 अरब टन अधिक मैग्नीज उपलब्ध है. लेकिन इसे निकालने की प्रक्रिया समुद्री जीवन के लिए खतरा बनी हुई है. रिपोर्ट-ब्रिगिटे ओस्टेराथ/एए