समंदर में पढ़ाई
स्कूली शिक्षा के दौरान विदेश की एक खास यात्रा. छह महीने जर्मनी के स्कूली बच्चे अटलांटिक की यात्रा पर गए. नाव खेना सीखा, दूसरी संस्कृतियों के बारे में जाना, सब कुछ पाल नौका यानि सेलबोट पर.
लहरों से टकराएं
पारंपरिक तीन मस्तूल वाली पाल नौका 25 साल से युवाओं को ट्रेनिंग दे रही है और समंदर में उनके साथ है. 2008 से इस पर खास प्रोजेक्ट चल रहा है, क्लासरूम अंडर सेल.
बड़ी यात्रा की बड़ी पैकिंग
190 दिन की यात्रा के लिए काफी सामान चाहिए. यात्रा से चार दिन पहले अपने नए घर के लिए सामान जुटाते स्कूली छात्र.
खुशी खुशी विदा
पूरे जर्मनी से 34 छात्र अलेक्जांडर फॉन हुम्बोल्ट और क्रिस्टोफ कोलंबस के रास्ते पर निकले. शुरुआत में वह कील से होते हुए कनारिया से नई दुनिया में पहुंचें.
पहाड़ों में पढ़ाई
कोर्स के दौरान सेंट क्रूज डे टेनेरिफा में पहली बार छात्र जमीन पर पहुंचते हैं. ये छात्र अतिथि बन कर वहां के लोगों के घरों में रहते हैं. और स्पेन के सबसे ऊंचे पर्वत पिको डेल टेइडे के नीचे विज्ञान के पाठ सीखते हैं.
दूर की यात्रा
अटलांटिक की यात्रा के दौरान स्कूली बच्चे पक्के नाविक बन जाते हैं. वह नाव के सारे काम, खाना बनाना और सफाई करना भी सीखते हैं.
खूब सूरज
करैबियाई द्वीप पर धूप और समंदर का आनंद उठाते बच्चे. 24 दिन समंदर की लहरों से जूझने के बाद जमीन पर पहुंचने का आनंद अलग ही है.
फिर लहरों पर
करैबियाई समंदर में वह अपनी नौका थोर हेयरडाल से ये पनामा की ओर जाएंगे. इस दौरान वे मस्तूल पर चढ़ कर पाल लगाना सीखते हैं.
पेड़ की नाव
नासो इंडियाना लोगों के साथ एक तने से बनी नाव में वर्षावनों के बारे में सीखते बच्चे. इससे वे इंडियाना लोगों के गांव तक पहुंचते हैं.
क्यूबा में साइकिल पर
क्यूबा की यात्रा होती है साइकिल से. इस दौरान वे तंबाखू के खेत में जाते हैं और हवाना में क्यूबाई छात्रों से मिलते हैं.
घर की ओर
अप्रैल 2014 में बच्चे कील यानि घर की ओर निकल पड़ते हैं. समंदर और उसके रोमांच के अलावा नए दोस्तों को बाय बाय कहने का वक्त.