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ब्लैकफोन रोकेगा ब्लैकमेल

८ मार्च २०१४

दुनिया भर में मोबाइल फोनों के जरिए हो रही जासूसी की खबरों ने हर किसी को सोचने पर मजबूर कर दिया है. ब्लैकफोन इस चिंता से मुक्त करने का दावा कर बाजार में आया है.

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Mike Janke Silent Circle The Blackphone
तस्वीर: Getty Images/AFP

बाजार में एक दूसरे से होड़ में लगी मोबाइल कंपनियां कभी तेज प्रोसेसर तो कभी बड़े और खूबसूरत डिसप्ले से उपभोक्ताओं को रिझाने करने की कोशिश करती हैं. इसी क्रम में एक ऐसी कंपनी भी है जो आज के उपभोक्ता के बड़े सिरदर्द को दूर करने का दावा कर रही है. ब्लैकफोन नामका फोन बनाने वाली कंपनी, एसजीपी टेक्नोलॉजीस, मोबाइल फोन इस्तेमाल करने वालों के डाटा को सुरक्षित रखने और उसकी प्राइवेसी बचाये रखने वाले फीचर लेकर आई है.

कंपनी को विश्वास है कि वह इस पेशकश से बहुत सारे यूजर्स को अपनी ओर खींच पाएगी और जल्दी ही तेजी से बढ़ते मोबाइल फोन बाजार के एक बहुत बड़े हिस्से को पा लेगी. ब्लैकफोन इस सीधे साधे फॉर्मूले पर काम करता है कि अगर एक सामान्य मोबाइल यूजर अपने फोन पर आसानी से इनक्रिप्शन कर पाए यानि संदेश को एक कोड के रूप में बदल पाए, तो समस्या सुलझ जाएगी. कंपनी पहले से ही फोन में कुछ ऐसी सेटिंग्स देती है जिससे यूजर की प्राइवेसी बनी रहती है. फोन में पहले से ही कुछ ऐसे एप्स भी आते हैं जिससे यूजर ज्यादा सुरक्षित तरीके से बातचीत कर पाए.

पिछले महीने बार्सिलोना में हुई मोबाइल वर्ल्ड कांग्रेस में एसजीपी टेक्नोलॉजीस के संस्थापकों में से एक फिल जिमरमान ने ब्लैकफोन को पेश किया. जिमरमान ने कहा, "इस फोन को बनाने की वजह ही यही है कि आपकी प्राइवेसी बनी रहे." जिमरमान साइलेंट सर्किल नामकी कंपनी के सहसंस्थापक हैं, जिसने गीक्सफोन नामकी एक दूसरी कंपनी के साथ मिलकर एसजीपी की नींव रखी. वह खुद एक ऐसा पीजीपी सॉफ्टवेयर बना चुके हैं जिससे ईमेल को इनक्रिप्ट किया जा सकता है.

जासूसी के बाद हड़कंप

पिछले साल एडवर्ड स्नोडेन के अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की जासूसी की हरकतों का भांडा फोड़ने वाले खुलासों से दुनिया भर डाटा सुरक्षा का मुद्दा गर्मा गया. कई देशों की खुफिया एजेंसियां हर वक्त वेब, फोन, ईमेल और एसएमएस संदेशों जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों पर नजर रखती हैं.

Symbolbild Internet Hacker Sicherheit Computer www Passwort
इनक्रिप्शन से संदेश एक कोड के रूप में बदल जाते हैंतस्वीर: Fotolia/Pedro Nunes

विशेषज्ञ बताते हैं कि इसने बचने का एक आसान तरीका इनक्रिप्शन ही हो सकता है जिसमें संदेशों को अक्षर और संख्याओं के मिले जुले रूप में बदल दिया जाता है. ऐसे इनक्रिप्टेड संदेशों को देखने के लिए यूजर के पास एक खास कोड होना चाहिए. ब्लैकफोन भी ऐसा ही स्मार्टफोन लेकर आया है जिसकी जासूसी न होने का दावा किया जा रहा है.

सुरक्षित उपकरणों की मांग को देखते हुए वायर जोन्स को लगता है कि वह लाखों ब्लैकफोन बेच पाएंगे. लेकिन एक बात साफ है कि अगर एनएसए जैसी कोई खुफिया एजेंसी आपकी निजी बातचीत या संदेशों के बारे में पता लगाने की ठान लेती है तो ब्लैकफोन इससे नहीं बचा पाएगा. वायर जोन्स कहते हैं कि अगर कोई खुफिया एजेंसियों के बारे में इतना ही आशंकित है तो बेहतर होगा कि वह कोई भी मोबाइल फोन न इस्तेमाल करे.

ब्लैकफोन की कीमत है करीब 630 डॉलर और इसकी पहली डिलीवरी जून में मिलेगी. साइलेंट सर्किल प्रोग्राम की तकनीक से इसमें टेक्स्ट संदेशों और फोन कॉलों को इनक्रिप्ट किया जाएगा. स्पाइडरओक नामकी तकनीक से 5 गीगाबाइट तक की इनक्रिप्टेड जानकारियां सुरक्षित रखी जा सकेंगी. माना जा रहा है कि ब्लैकफोन ने एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम को बदल कर रख दिया है. नए सिस्टम को प्राइवेटओएस का नाम दिया जा रहा है. यूजर की मर्जी होती है कि वह किन एप्स को अपने आंकड़ों का इस्तेमाल करने देगा और किन्हें नहीं.

स्मार्ट के साथ सेफ्टी का नारा

डॉयचे टेलीकॉम और मोजिला भी ऐसे ही मिलते जुलते मॉडल पर काम कर रहे हैं. मोजिला ने स्मार्टफोन के लिए फायरफॉक्स ओएस बना डाला है और जल्दी ही उसमें और सुरक्षित सेटिंग्स लाने की तैयारी हो रही है. इन सेटिंग्स में आप तय कर सकेंगे कि आपका फोन आपकी लोकेशन और बाकी जानकारियों के बारे में कितनी सटीक जानकारी हासिल कर पाएगा. मोजिला फाउंडेशन के अध्यक्ष मिशेल बेकर कहते हैं, "हम देख रहे हैं कि अगर यह काम करता है तो क्या लोग इसे इस्तेमाल करना चाहेंगे."

हाल ही में जब फेसबुक ने व्हाट्सऐप नामकी मेसेजिंग सर्विस खरीदी तब से जर्मनी के बहुत से लोगों ने थ्रीमा जैसी मिलती जुलती सेवा देने वाली सर्विसेज इस्तेमाल करना शुरू कर दिया. थ्रीमा स्विट्जरलैंड का एक एप है जो बाकी सुविधाओं में बिल्कुल व्हाट्सऐप जैसा है लेकिन उससे अलग भी. फर्क यह है कि थ्रीमा पूरी तरह से इनक्रिप्टेड सर्विस है.

आरआर/ओएसजे (डीपीए)