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सबसे गहरी जगह तक पहुंचा इंसानी कचरा

ओंकार सिंह जनौटी
१४ फ़रवरी २०१७

समंदर में 10 किलोमीटर की गहराई में सूर्य का प्रकाश भी ठीक से नहीं पहुंच पाता, लेकिन इंसान का कचरा वहां भी मौजूद है.

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Bildergalerie Das Meer und der Müll
तस्वीर: Gavin Parson/Marine Photobank

मारियाना ट्रेंच, यह धरती की सबसे गहरी जगह है. वहां समुद्र 10,994 मीटर गहरा है. यानि करीब 11 किलोमीटर की गहराई. इतनी गहराई में इक्का दुक्का पनडुब्बियां ही पहुंच पाती हैं. वहां सूर्य का प्रकाश भी ना के बराबर पहुंचता है. लेकिन वहां भी इंसानी कूड़ा पहुंच चुका है.

वैज्ञानिक मारियाना ट्रेंच की गहराई में फैले इंसानी प्रदूषण से हैरान हैं. वहां विषैले रसायनों की काफी मात्रा मिली है. एक रोबोटिक पनडुब्बी ने इस कूड़े की तस्वीरें भी ली हैं. रिसर्च का नेतृत्व करने वाले यूके की न्यूकासल यूनिवर्सिटी के एलन जैमिसन कहते हैं, "हमें अब भी लगता है कि गहरा समुद्र बहुत ही दुर्गम है और प्राकृतिक अवस्था में है, इंसान का असर उस पर नहीं है, लेकिन हमारी रिसर्च दिखाती है कि ये सच नहीं है. वहां मिला प्रदूषकों का स्तर दिखाता है कि जिन चीजों को हम घर में इस्तेमाल करते हैं, वे आखिरकार कहां पहुंच सकती हैं. यह दिखाता है कि इंसान का धरती पर क्या असर पड़ा है."

वैज्ञानिकों को मुख्य रूप से दो ऐसे रसायन मिले, जिन पर 1970 के दशक में पाबंदी लगा दी गई थी. इन्हें पीओपी यानी परसिस्टेंट ऑर्गेनिक पॉल्युटैंट्स कहा जाता है. यह प्रकृति में जैविक रूप से विघटित नहीं होते. यह तत्व कनाडा के आर्कटिक की किलर व्हेलों और पश्चिमी यूरोप की डॉल्फिनों के शरीर में भी पाए गए. पीओपी का उत्पादन 1930 से 1970 के दशक तक बड़े पैमाने पर हुआ. माना जाता है कि पीओपी के कुल उत्पादन का एक तिहाई यानि करीब 1.3 टन समुद्र में घुल चुका है. मारियाना ट्रेंच की एक ढलान को साइरेना डीप भी कहा जाता है. अमेरिकी वैज्ञानिकों को वहां बियर के कैन, टिन के डिब्बे और प्लास्टिक बैग भी मिले.

(प्लास्टिक बोतल की जिंदगी)