सबवे कलाकार
१८ जून २०१४स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम के मेट्रो स्टेशन गुफा की तरह हैं. अलेक्सांडर द्रागुनोव के लिए ये खास हैं. वह जहां भी जाते है, वहां के मेट्रो स्टेशनों की तस्वीरें लेते हैं, "आप सबवे में जाते हैं, अकेला महसूस करते हैं. आपकी आवाज गूंजती है. इस जगह को महसूस करना मुझे अच्छा लगता है. और ये खाली होता है इसलिए आप आसानी से फोटो ले सकते हैं. कोई डिस्टर्ब नहीं करता. आप जो चाहें कर सकते हैं और अपना पसंदीदा एंगल ढूंढ सकते हैं."
स्टॉकहोम में शाम का वक्त. ज्यादातर लोग घर चले गए हैं, लेकिन 35 साल के द्रागुनोव अपने जूनून का पीछा कर रहे हैं- वो स्टेशनों पर जाते हैं, तस्वीरें लेने. पैसा तो वह प्रोग्रामिंग करके कमाते हैं और फोटोग्राफी सिर्फ शौक है. लेकिन सबवे फोटो से उन्हें सोशल मीडिया पर ढेरों क्लिक मिलते हैं. इस काम में वह अकेले नहीं हैं. फ्लिकर और इंस्टाग्राम पर उनके जैसे कई दीवाने हैं.
जैसे लंदन की मिस अंडरग्राउंड. उसके फोटो पैंतीस हजार से ज्यादा लोग देखते हैं. ये सारे एक स्मार्टफोन से लिए फोटो हैं. उनके इंस्टाग्राम पेज पर कुछ तस्वीरें म्यूनिख की भी हैं. शहरों के सबवे स्टेशनों की तस्वीरें काफी पसंद की जाती हैं. मॉस्को के पैलेस जैसे सबवे स्टेशन भी पसंद किए जाते हैं. ये दुनिया भर के फोटोग्राफरों के लिए तीर्थस्थान जैसे हैं. स्वीडन की राजधानी के सबवे भी अब द्रागुनोव के कारण मशहूर हो रहे हैं.
राधुसेत स्टेशन द्रागुनोव को गुफानुमा स्टेशन पसंद हैं. स्टॉकहोम के सबवे का ग्रेनाइट यहां सीमेंट से ढका गया है और इसलिए लगता है जैसे आप गुफा में हों. ऐसे स्टेशन ब्लू लाइन पर सबसे ज्यादा हैं. ये सत्तर के दशक में बनाए गए. बढ़िया तस्वीर के लिए इनका खाली होना जरूरी है. रात में ऐसा मौका आ ही जाता है.
स्वीडेन के कई सबवे स्टेशनों पर मूर्तियां बनी हुई हैं या फिर पेटिंग और इंस्टॉलेशन हैं. स्टॉकहोम ट्रांसपोर्ट सर्विस के मुताबिक उसके सबवे स्टेशन दुनिया की सबसे लंबी आर्ट गैलेरी हैं. द्रागुनोव की तस्वीरों में इन्हें भी शामिल किया गया है. उनकी तस्वीरों में रेखाओं और संतुलन का खेल दिखता है. उनकी सबसे सुंदर तस्वीरों को उन्होंने टुनेलबाना नाम के एल्बम में शामिल किया है.
स्टॉकहोम मेट्रो का फोटो प्रोजेक्ट द्रागुनोव के लिए पूरा हो गया है. अब वह दूसरे सबवे के फोटो लेना चाहते हैं. उनकी इच्छा है म्यूनिख और लंदन जाने की. ऐसे मेट्रो स्टेशन जो स्टॉकहोम से बिलकुल ही अलग हैं.
रिपोर्टः रोबर्ट रिष्टर/एएम
संपादनः मानसी गोपालकृष्णन