सच्ची पूजा
भारत में हर दिन मंदिरों में कई टन फूल चढ़ाए जाते हैं और बाद में इन्हें नदियों में बहा दिया जाता है जिससे नदियों को बहुत नुकसान होता है. इसे बदलने के लिए एक गैर सरकारी संगठन ने नया रास्ता निकाला गया है.
अकेले राजधानी नई दिल्ली में ही छोटे बड़े 23,000 मंदिर हैं. इन मंदिरों के बाहर फूल वालों की दुकान एक आम दृश्य है.
दिल्ली के मंदिरों से हर दिन 20,000 किलोग्राम फूल कचरे बन जाता है. यह शहर के जैविक कचरे का पचास फीसदी है.
इनमें से 80 प्रतिशत फूल यमुना नदी में बहा दिए जाते हैं. यमुना की सफाई पर सरकार 27 अरब डॉलर खर्च चुकी है.
ओआरएम ग्रीन नाम के एनजीओ ने नदियों को गंदगी और प्रदूषण से बचाने का एक अच्छा विकल्प निकाला है.
एनजीओ ने फूल पत्तियों को प्रोसेस करने की मशीन तैयार की है. उससे जैविक ईंधन बनाया जा सकता है.
भारत में लोग नदी को पवित्र मानते हैं, लेकिन फिर भी वे गंदी हैं. तवी नदी से कूड़ा छांटता हुआ एक बच्चा.
इसे दिल्ली के साईं बाबा मंदिर में लगाया गया है. ऐसी और तीन मशीनें दिल्ली के दूसरे मंदिरों में लगेंगी.
भविष्य में इन मशीनों के जरिए केवल फूल ही नहीं, बल्कि पौधों के तनों को भी प्रोसेस किया जा सकेगा.
सारे देश में ऐसी मशीनें लग जाएं तो मंदिरों में सच्ची पूजा हो सकेगी जो पर्यावरण के हित में भी होगी.