1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

सच्चाई से कब तक भागेगा भारत

ईशा भाटिया७ नवम्बर २०१४

भारत की महिला बॉक्सिंग टीम के प्रेग्नेंसी टेस्ट पर हंगामा मचा है. लोग सवाल कर रहे हैं कि स्पोर्ट्स ऑथोरिटी की भला 'कुंवारी' लड़कियों का प्रेग्नेंसी टेस्ट करने की हिम्मत ही कैसे हुई.

https://p.dw.com/p/1Disz
Sex
तस्वीर: picture-alliance/Romain Fellen

अंतरराष्ट्रीय बॉक्सिंग एसोसिएशन के नियमों के अनुसार हर महिला खिलाड़ी को टूर्नामेंट में जाने से पहले प्रेग्नेंसी टेस्ट कराना अनिवार्य है. यह उनकी अपनी सुरक्षा के लिए है. गर्भवती महिला का बॉक्सिंग रिंग में उतरना जानलेवा भी साबित हो सकता है. महिला स्वास्थ्य के तहत ही इस तरह का नियम बनाया गया है. भारतीय टीम को भी शायद इससे कोई दिक्कत नहीं होती अगर खिलाड़ी विवाहित होतीं. 'गैरशादीशुदा' और 'कुंवारे' के बीच अंतर हो सकता है, यह बात नैतिकता की दुहाई देने वालों को रास नहीं आ रही.

Deutsche Welle DW Isha Bhatia
तस्वीर: DW/P. Henriksen

स्पोर्ट्स ऑथोरिटी ऑफ इंडिया के डॉक्टर पीएसएम चंद्रन ने तो यहां तक कह दिया कि यह मानवाधिकारों का हनन है और राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था और महिला कमीशन को इस मामले की सुध लेनी चाहिए. क्या भारत में अविवाहित महिलाएं कभी गर्भवती नहीं होतीं? बिहार और झारखंड में अविवाहित महिलाओं पर हुआ एक सर्वे बताता है कि गर्भवती हुई 91 फीसदी महिलाओं को शुरुआती तीन महीनों में अपनी स्थिति का पता चल गया, जबकि नौ फीसदी को चौथा महीना शुरू होने के बाद समझ आया कि वे गर्भवती हैं. अंतरराष्ट्रीय नियम ऐसी ही स्थितियों से निपटने के लिए बने हैं.

शादी से पहले सेक्स?

कुछ साल पहले दक्षिण भारत की लोकप्रिय अभिनेत्री खुशबू विवादों में घिरी थीं. उन्होंने बयान दिया था कि आधुनिक समाज में जीने वाले पुरुष को शादी के समय पत्नी के 'वर्जिन' होने की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए. समाज की मर्यादा को तोड़ते इस बयान ने नैतिकता का पाठ पढ़ाने वालों के गुस्से को इतना भड़काया कि वे खुशबू के घर जा कर पथराव करने पर मजबूर हो गए. आलम यह था कि कई दिनों तक खुशबू का घर से निकलना भी मुश्किल हो गया.

ऐसे ही विरोध तब भी देखे गए जब भारतीय बाजार में आईपिल को उतारा गया. विज्ञापन में गर्भपात कराने वाली एक अविवाहित लड़की की दुविधा और डर को दिखाया गया और इस बात पर जोर दिया गया कि एक गोली के सेवन से ऐसी स्थिति से बचा जा सकता है. उस समय भी नैतिकता की दुहाई दे कर कहा गया कि विज्ञापन से समाज में एक गलत संदेश जा रहा है.

पुरुषों के लिए सब ठीक

तो जरा समाज के आंकड़ों पर एक नजर डाली जाए. इंडिया टुडे के एक सर्वे में 70 फीसदी से ज्यादा पुरुषों ने माना कि शादी से पहले उनके संबंध रहे हैं. इसी सर्वे में 77 फीसदी पुरुषों ने यह भी कहा कि वे पहले से संबंध बना चुकी महिला के साथ शादी नहीं करना चाहेंगे. पुरुषों का यह अनोखा गणित हैरान करता है. यानि शादी से पहले सेक्स तो ठीक है लेकिन सिर्फ पुरुषों के लिए!

सच्चाई से मुंह फेरने वाले मामलों की कोई कमी नहीं है. कुछ दिन पहले सेंसर बोर्ड ने एक फिल्म के सीन को पास नहीं किया क्योंकि उसमें 'वर्जिन' शब्द का इस्तेमाल किया गया था. इसी तरह हाल ही में मुंबई हाई कोर्ट में विदेश मंत्रालय की वकील ने कहा कि अविवाहित महिला को अपने बच्चे का पासपोर्ट लेते समय बताना होगा कि क्या उसके साथ बलात्कार हुआ था. बाद में मंत्रालय ने इसका खंडन किया लेकिन इस तरह की टिप्पणियां हास्यास्पद हैं.

शादी से पहले भी संबंध बनते हैं और यह इंटरनेट युग की देन नहीं है, इस सच्चाई से आखिर कब तक भागता रहेगा भारत?