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सऊदी महिलाओं के खुले उत्पीड़न का वीडियो वायरल

७ अगस्त २०१५

जुलाई में यूट्यूब पर डाला गया केवल एक मिनट का वीडियो सऊदी अरब में महिलाओं की स्थिति पर सार्वजनिक बहस की वजह बना है. वीडियो में दो बुर्का पहनी महिलाओं के पीछे पीछे उन्हें छेड़ते हुए पुरुषों की भीड़ दिख रही है.

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तस्वीर: AP

सऊदी अरब के जेद्दा शहर में दो महिलाओं का एक ऐसा वीडियो सामने आया, जो वायरल हो गया और उसे लेकर जनता में बहस छिड़ गई. एक इस्लामी राज्य जहां महिलाओं और पुरुषों के लिए समाज में काफी अलग अलग नियम हैं. महिला अधिकारों की वकालत करने वाले कार्यकर्ताओं और सामाजिक टीकाकारों ने वीडियो में महिलाओं को परेशान करते दिख रहे पुरुषों की कड़े शब्दों में भर्त्सना की है. गौर करने वाली बात है कि इस महिलाओं ने सिर से पांव तक ढकने वाला लिबास अबाया और चेहरे को ढकने वाला नकाब पहना हुआ था. इस वीडियो पर मीडिया और ऑनलाइन माध्यमों में दिखे लोगों के गुस्से के मद्देनजर मामले की पुलिस जांच शुरू हुई. एक सऊदी चैनल के हवाले से पता चला है कि वीडियो में दिखने वाले छह सख्स हिरासत में लिए जा चुके हैं और उनसे पूछताछ जारी है. तभी अचानक मामला पूरा पलट गया.

मामले में यू-टर्न

पहले वीडियो के कुछ ही दिन बाद एक और वीडियो सामने आया जिसमें कथित तौर पर वहीं दो महिलाएं दिखीं. कुछ स्थानीय टीवी चैनलों ने वीडियो को प्रसारित करते हुए बताया कि यह उसी दिन का वीडियो है जो महिलाओं को तंग किए जाने के ठीक पहले का घटनाक्रम दिखाता है. इन नए वीडियो में दो महिलाओं को एक ट्रैक्टर जैसे चौड़े पहियों वाली लोकप्रिय क्वॉड बाइक चलाते हुए देखा जा सकता है. आसपास मौजूद पुरुष पहले तो केवल उन्हें देखते हैं और तभी उनमें से एक औरत पुरुषों की तरफ कुछ काली रस्सी जैसा फेंकती दिखती है. यह "अगाल" नाम की रस्सीनुमा एक्सेसरी है जिसे पुरुष सिर पर पहने जाने वाले पारंपरिक चेक वाले कपड़े के साथ बांधते हैं. इसी के साथ पुरुष हंसते हैं और कुछ लोग इस हरकत पर हूटिंग करने लगते हैं. इस वीडियो के सामने आते ही पहले वीडियो में दिखी महिलाओं को पीड़ित नहीं बल्कि पुरुषों को भड़काने वाला बताया जाने लगता है.

बराबरी की बहस

वैसे तो सऊदी अरब में महिलाएं भी पुरुषों की ही तरह बैंकों या अस्पतालों में काम कर सकती हैं, मगर अविवाहित युवकों और युवतियों को निजी या सार्वजनिक तौर पर मिलने से मनाही है. महिलाओं के लिए पूरी तरह ढकने वाले लिबास का ड्रेस कोड है, जिसमें चेहरे को भी ढकना होता है. इसके अतिरिक्त, ना तो महिलाएं कार चला सकती हैं और ना ही वीडियो में दिखाई गई क्वॉड बाइक जैसी सवारी. हालांकि, कॉस्मोपॉलिटन माने जाने वाले जेद्दा जैसे शहर में कुछ महिलाओं को बिना अबाया के भी देखा जा सकता है.

दोषी कौन?

न्यायिक सलाहकार याहिया अल-शाहरानी का मानना है कि इस प्रकरण में महिलाओं ने "मोहक और आकर्षक" तरीका दिखाया. उनका मानना है कि इस मामले में उन दो महिलाओं पर भी कार्रवाई होनी चाहिए और उनके मां बाप की गलती है जिन्होंने युवा लड़कियों को पुरुषों के आसपास जाने दिया. वीडियो से शुरु हुई बहस इतनी जल्दी थमती नहीं दिख रही कि उस घटना में दोषी किसे ठहराया जाए. इसकी पृष्ठभूमि में वे तमाम पाबंदियां और नियम भी उजागर हुए हैं, जिनसे सऊदी महिलाएं रोजाना संघर्ष करती हैं.

न्याय मंत्रालय के पास बीते दो सालों में यौन उत्पीड़न और दुर्व्यवहार के ऐसे 3,982 मामले दर्ज हुए हैं. महिला अधिकारों को लेकर सक्रिय कार्यकर्ता तामादोर आलयामी बताती हैं कि महिलाओं के साथ ऐसा बर्ताव आम है और कानून में इसे अपराध का दर्जा दिया जाना चाहिए. आलयामी कहती हैं कि उत्पीड़न हर जगह हो रहा है केवल कुछ मामले जो कैमरे पर रिकॉर्ड हो जाते हैं, बहस का कारण बनते हैं. सऊदी अरब में मुत्तावा नाम की नैतिक पुलिस की व्यवस्था है, जिसे कमीशन फॉर दि प्रोटेक्शन ऑफ वर्च्यू एंड दि प्रिवेंशन ऑफ वाइस कहा जाता है. इसका काम महिलाओं और पुरुषों को अलग अलग रखने के नियमों का कड़ाई से पालन करवाना है.

आरआर/एमजे (एपी)