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श्रीकृष्ण रिपोर्ट कई तबकों में खारिज

७ जनवरी २०११

तेलंगाना के लिए आंदोलन कर रही पार्टी टीआरएस और अन्य दलों के नेताओं ने जस्टिस श्रीकृष्ण कमेटी की रिपोर्ट को खारिज कर दिया है. इन नेताओं का कहना है कि कृष्णा रिपोर्ट अलग तेलंगाना राज्य की समस्या का कोई साफ हल नहीं सुझाती.

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तस्वीर: AP

गुरुवार को श्रीकृष्ण कमेटी की रिपोर्ट को पेश किया गया. इसके बाद अलग तेलंगाना राज्य के लिए आंदोलन कर रहे छात्रों ने सड़कों पर प्रदर्शन किया. उन्होंने उस्मानिया विश्वविद्यालय में एक बस को आग लगा दी. छात्रों और सुरक्षा बलों के बीच झड़प हुई जिसके बाद पुलिस ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया.

Indien Hyderabad
तस्वीर: AP

छात्रों ने श्रीकृष्ण रिपोर्ट के विरोध में शुक्रवार को बंद बुलाया है. तेलंगाना राष्ट्र समिति के प्रमुख के चंद्रशेखर राव ने कहा, "हम श्रीकृष्ण समिति द्वारा सुझाए गए विकल्पों को खारिज करते हैं. हम और कुछ नहीं बल्कि अलग तेलंगाना राज्य चाहते हैं. वैसा ही, जैसा 1 नवंबर 1956 से पहले था. क्षेत्र के लिए अलग विकास बोर्ड बनाना और हैदराबाद को केंद्र शासित प्रदेश बनाने का विकल्प हमें कतई मंजूर नहीं है." टीआरएस चीफ ने साफ शब्दों में कहा कि वह हैदराबाद पर अपना हक नहीं छोड़ेंगे.

अन्य राजनीतिक पक्ष भी श्रीकृष्ण कमेटी की रिपोर्ट से सहमत नजर नहीं आए. तेलुगु देशम पार्टी की तेलंगाना फोरम के संयोजक नगम जनार्दन रेड्डी ने मांग की कि केंद्र सरकार अलग तेलंगाना राज्य बनाने के लिए बजट सत्र के दौरान संसद में एक बिल लाए. रेड्डी ने कहा, "कमेटी की छह सिफारिशों ने अव्यवस्था को और बढ़ा दिया है. ये सिफारिशें तेलंगाना के लोगों की भावनाओं का अपमान हैं. भारत सरकार के पास लोगों की भावनाओं का आदर करते हुए अलग तेलंगाना बनाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है."

आंध्र प्रदेश के तेलंगाना राज्य के कांग्रेस विधायकों ने भी कृष्णा रिपोर्ट का विरोध किया है. कांग्रेस विधायक आर दामोदर रेड्डी, गांद्रा वेंकट रमन्ना रेड्डी, राजैया और विधानपरिषद सदस्य यादव रेड्डी ने कहा, "हमें अलग तेलंगाना राज्य चाहिए, और कुछ नहीं. हमें उम्मीद है कि केंद्र सरकार लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए क्षेत्र को अलग राज्य का दर्जा जरूर देगी."

भारतीय जनता पार्टी ने भी श्रीकृष्ण रिपोर्ट का समर्थन नहीं किया है. उसका कहना है कि अलग राज्य बनाने में देरी करके केंद्र सरकार आंध्र प्रदेश और तेलंगाना दोनों क्षेत्रों के हितों को नुकसान पहुंचा रही है. ज्यादातर पक्षों ने 505 पन्नों की इस रिपोर्ट को अस्पष्ट और भ्रामक करार दिया है.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः ए जमाल

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