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शीना बोरा की खबर तले दबा कालबुर्गी मामला

आईबी/एमजे१ सितम्बर २०१५

साहित्यकार एमएम कालबुर्गी अंधविश्वास के खिलाफ लिखते थे. उनकी उनके घर पर गोली मार कर हत्या कर दी गयी. हत्या की निंदा करने वालों की शिकायत है कि मीडिया और जनता दोनों ही इस मामले में कोई रुचि नहीं दिखा रहे.

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M.M. Kalburgi
तस्वीर: Getty Images/AFP/Strdel

खबर के बिकने के लिए उसमें मसाला जरूरी है और शीना बोरा हत्याकांड में हर तरह का मसाला मौजूद है. इस हाई प्रोफाइल मर्डर मिस्ट्री के चलते साहित्यकार एमएम कालबुर्गी की हत्या की खबर धुंधली पड़ गयी है. पत्रकार से नेता बने आशुतोष को भी इस बात का मलाल है. अपनी नाराजगी दिखाते हुए उन्होंने ट्वीट किया, "यह देख कर दुख होता है कि कालबुर्गी के मामले को अखबारों के आखिरी पन्नों पर रखा गया है और टीवी इंद्राणी मुखर्जी के मामले में खो गया है."

हालांकि एनडीटीवी की बरखा दत्त ने इस टिप्पणी का जवाब देने में जरा भी देर नहीं की. आशुतोष को जवाब में उन्होंने लिखा, "हम सब नहीं."

वहीं जानीमानी लेखक शोभा डे ने भी इस पर नाराजगी जताते हुए लिखा है, "विद्वान कालबुर्गी की गोली मार कर हत्या कर दी गयी. किसी की रुचि नहीं है! लेकिन हर कोई जानना चाहता है कि शीना को किसने मारा."

इस बीच बजरंग दल के भुविथ शेट्टी के ट्वीट खूब चर्चा में हैं. हालांकि भुविथ का ट्विटर अकाउंट अब सार्वजनिक नहीं है और कुछ ही लोगों के पास उसे देखने की अनुमति है लेकिन पुराने ट्वीट के स्क्रीनशॉट चर्चा में हैं. सीपीआईएम की कविता कृष्णन ने भी ऐसा ही एक स्क्रीनशॉट ट्वीट करते हुए इसे "संघी आतंकवाद" का नाम दिया है.

भुविथ को अपने ट्वीट के लिए गिरफ्तार किया गया है. लेकिन सोशल मीडिया में फैले स्क्रीनशॉट की पुष्टि नहीं की जा सकती. धमकी भरे एक ट्वीट में कहा गया है कि हिन्दू धर्म का मजाक उड़ाने वाले कुत्ते की मौत मरेंगे और अगला नंबर प्रोफेसर केएस भगवान का होगा.

इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार सागरिका घोष ने कालबुर्गी की हत्या की निंदा करते हुए इसकी बांग्लादेशी ब्लॉगरों के मामलों से तुलना की है और सवाल किया है कि भारत की सड़कों पर हो रही हत्याओं का क्या?