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शिशु सीखेंगे दो-दो भाषाएं

४ जून २०१०

जर्मनी की राजधानी बर्लिन में किया जा रहा है छोटे-छोटे बच्चों को प्रीस्कूल में ही दो-दो भाषाएं सिखाने का परीक्षण. ग्लोबल दुनिया के लिए बच्चों को तैयार करने की कवायद.

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तस्वीर: dpa

जर्मनी में नन्हें-नन्हें बच्चे जो सही से कलम उठाना भी नहीं जानते, वे अब दो-दो भाषाए सीख रहे हैं. राजधानी के प्ले-स्कूलों में अब 6 महीने से लेकर 5 साल के बच्चों को जर्मन और अंग्रेजी एक साथ सिखाई जाएगी. इस नए प्रोग्राम का नाम लैन्गुएज इमर्शन है. पढ़ाई से लेकर गानों तक, खाने से लेकर खेलने तक, सब कुछ जर्मन और अंग्रेजी में होगा. इस नए प्रोग्राम को लेकर कई माता पिता बहुत उत्साहित हैं. एक पिता जिनकी बेटी 10 महीने की उम्र से इस प्ले-स्कूल में है, गर्व से बताते हैं, "हां, मैं बिलकुल हैरान हूं. घर पर हम अपनी बेटी के साथ सिर्फ जर्मन में बात करते हैं. लेकिन हमने खुद देखा है कि जब अंग्रेजी की टीचर हमारी बेटी के साथ अंग्रेजी में बात करती है तो वह सब कुछ समझती है और जवाब भी देती है. हम बहुत खुश हैं."

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तस्वीर: picture alliance/dpa


सिर्फ बच्चे ही नहीं, ऐसे कई टीचर भी हैं जो पहली बार ऐसे माहौल में पढ़ा रहे हैं. सिल्विया हुल्श इस प्ले स्कूल में ही पढ़ाती हैं. वह कहती हैं कि उन्होंने पहले कभी द्विभाषी माहौल में नहीं पढ़ाया है. "यह आश्चर्य कि बात है कि बच्चे हर बात का जवाब दे या नहीं, लेकिन हमारी बातें समझते हैं. मुझे कई बार ऐसा लगता है कि बच्चों को यह एहसास ही नहीं होता कि वे एक साथ दो भाषाएं सीख रहे हैं. उनके लिए तो यह एक आम बात है. काश कि हमारे समय में भी ऐसा कुछ होता. मैंने तो पहली बार अंग्रेजी पांचवी कक्षा में पढ़नी शुरू की थी और उस वक़्त मुझे व्याकरण सीखने में बहुत मुश्किल हुई थी. इसीलिए मुझे कभी अच्छे नंबर नहीं मिलते थे.
द्विभाषी एजुकेशन के फायदों का पता पहली बार 1960 में चला. खासकर दूसरी भाषा सीखने से बच्चों का मानसिक विकास तेज होता है. वे आस पास की चीजों पर और ध्वनियों पर ज्यादा ध्यान देते हैं जिससे उनका मानसिक विकास होता है. प्रीस्कूल के संचालक शालर कहते हैं, "मैं इस लैंगुएज एमर्शन प्रोग्रेम का दिल खोल कर स्वागत करता हूं क्योंकि यह उन्हें दुनिया और अनेक संस्कृतियों की जानकारी देता है. इससे बच्चों की सहनशीलता बढती है. उन्हें यह पता चलता है कि ऐसे कई लोग हैं जो हमसे अलग दिखते और बोलते हैं. और वैसे भी कहा जाता है कि बच्चे भाषाएं जल्द सीख जाते हैं."

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तस्वीर: picture-alliance/ dpa


यह लैन्गुएज इमर्शन प्रोग्राम ख़ासकर उन घरों में लोकप्रिय है जहां एक या फिर दोनों, माता और पिता विदेशी हैं. जैसे यह दो वर्षीय जुडवा बच्चों की मां जो कहती हैं, "मैं चीन से हूं, और मैं शुरू से ही अपने बच्चों के साथ चीनी भाषा में बात करती हूं. इसलिए अब वे एक साथ तीन भाषाएं सीख रहे हैं. यह उनके लिए आसान नहीं है और ना ही मेरे और मेरे पति के लिए. लेकिन मैं यह जानती हूं कि अगर हम दो तीन साल कड़ी मेहनत करें तो यह उनके भविष्य के लिए बहुत फायदेमंद होगा."
जर्मन सरकार ने लोगों से इस नए प्रीस्कूल प्रोग्राम के लिए मदद मांगी है. वे देखना चाहते है कि इस द्विभाषी प्रोग्राम से जर्मन समाज और संस्कृति पर क्या असर पड़ता है.

रिपोर्ट: जैसू भुल्लर

संपादन: अशोक कुमार