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शांति के नोबेल पर चीन बेहद अशांत

८ अक्टूबर २०१०

चीन के नागरिक को नोबेल पुरस्कार के लिए चुने जाने पर वहां की सरकार खुश नहीं है. चीन सरकार ने इसे चयन की कसौटी के खिलाफ बताया है. साथ ही नॉर्वे के साथ संबंध खटाई में पड़ने की भी चीन ने धमकी दे दी.

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तस्वीर: AP

चीन सरकार के खिलाफ विद्रोह के आरोप में 11 साल जेल की सजा काट रहे लिऊ शियाओपो को चुने जाने पर चीन ने नाखुशी जाहिर की है. चीन ने कहा है कि इस तरह का चयन पुरस्कार की कसौटी के खिलाफ है.

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मा झाओचू ने कहा कि नोबल समिति ने एक कैदी को पुरस्कार के लिए चुन कर चयन के नियमों का उल्लंघन किया है. इसका असर चीन नॉर्वे संबंधों पर भी पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि यह पुरस्कार सामाजिक सौहार्द को मजबूत करने, अंतरराष्ट्रीय मैत्री और निरस्त्रीकरण को बढ़ावा देने वालों को दिया जाना चाहिए. यही नोबेल की भी इच्छा थी.

झाओचू ने कहा कि नोबेल समिति ने कानून तोड़ने के कारण सजा भुगत रहे व्यक्ति को चुन कर चयन की कसौटी को तोड़ा है. उन्होंने कहा कि लिऊ को चीन की अदालत ने देश का कानून तोड़ने का दोषी करार देते हुए 11 साल जेल की सजा सुनाई है.

लिऊ कम्युनिस्ट शासित चीन राजनीतिक सुधार की रूपरेखा का बखान करने वाली किताब चार्टर 08 के सहलेखक हैं. इस कारण से उनके खिलाफ कानून तोड़ने का मुकदमा चलाया गया. झओचू ने कहा कि नोबेल समिति के इस फैसले से नॉर्वे चीन संबंधों को नुकसान हो सकता है.

अगर चीन इस फैसले पर सख्त कदम उठाता है तो इसका सीधा असर नॉर्वे की उन कंपनियों पर होगा जो चीन में व्यापार कर रही हैं. कई जानकार मानते हैं कि इसका सबसे पहला नुकसान दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते के लिए जारी बातचीत पर हो सकता है. शांति शोध संस्थान पीआरआईओ के डायरेक्टर क्रिस्टिएन बेर्ग कहते हैं, "इसका असर मुक्त व्यापार समझौते में देरी के रूप में नजर आ सकता है. सबसे बुरा तो तब होगा जब इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा. लिऊ को पुरस्कार देने की राजनीतिक कीमत तो चुकानी ही होगी."

हालांकि सभी विश्लेषक इससे सहमत नहीं हैं कि चीन इस पुरस्कार की खातिर अपने व्यापार को खतरे में डालेगा. नॉर्वेजियन इंस्टिट्यूट ऑफ फॉरन अफेयर्स के यान इगेलैंड कहते हैं, "चीन भी पश्चिम के साथ व्यापार पर उतना ही निर्भर है जितना पश्चिमी देश चीन पर."

इस बीच पुरस्कार की घोषणा के बाद जर्मनी ने चीन सरकार से लिऊ को जेल से रिहा करने का अनुरोध किया है. जिससे वह पुरस्कार ग्रहण करने के लिए नार्वे जा सकें. जर्मन सरकार के प्रवक्ता स्टीफन सेबर्ट ने कहा कि यह मांग पहले भी की जा चुकी है और आगे भी जाती रहेगी. जर्मन सरकार चाहेगी कि लिऊ को रिहा कि या जाए और वह स्वयं अपने हाथों पुरस्कार लें.

रिपोर्टः एजेंसियां/निर्मल

संपादनः वी कुमार