शहर बोले तो
दुनिया भर में शहरीकरण को बहुत सारी समस्याओं का समाधान माना जा रहा है. भारत भी स्मार्ट सिटी की परियोजना पर जोर दे रहा है. हम आपको बता रहे हैं कि शहर का मतलब क्या है और उन्हें किस तरह आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है.
बढ़ती शहरी आबादी
शहरों में रहने वाले लोगों की आबादी लगातार बढ़ रही है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार 2050 तक विश्व की दो तिहाई आबादी शहरों में रहेगी. शहरों को किफायती मकान, पानी, नौकरी, स्कूल, ट्रांसपोर्ट और स्वास्थ्य सेवाओं की मांग पूरी करनी होगी.
शहर में स्लम
बढ़ते शहरीकरण का असर यह भी हुआ है कि शहरों में स्लम बढ़े हैं. केप टाउन का कायलित्सा इसकी मिसाल है. एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका में लाखों लोग शहर के ऐसे हिस्सों में रहते हैं जहां न तो साफ पानी है और न ही शौचालय और नौकरी.
ग्रीन इमारतें
शहरीकरण से भीड़ बढ़ सकती है लेकिन वह नए मौके भी उपलब्ध करा सकता है. अमेरिका में लॉस एंजेलिस के पास सैंटा मोनिका में कमजोर वर्ग के लोगों के लिए मकानों की कमी दूर करने के प्रयासों के तहत सोलर पैनल वाले पर्यावरण सम्मत घर बनाए गए.
साफ पानी
परंपरागत रूप से शहर नदियों के किनारे बनाए जाते हैं ताकि लोगों को साफ पानी मिल सके. लेकिन बढ़ती आबादी को सस्ते में पानी मुहैया कराना मुश्किल होता जा रहा है. भारत के कई शहर नियमित तौर पर पानी की भयानक किल्लत का सामना कर रहे हैं. हाल में चेन्नई का सूखा बड़ा उदाहरण है.
शहरी खेती
विकासशील देशों में शहरीकरण का दबाव संसाधनों पर पड़ रहा है. देहातों से शहर रहने जाने वाले गरीब लोगों को खाना और दूसरी जरूरी चीजों के लिए मशक्कत करनी पड़ती है. कंपाला में छोटी शहरी जमीन पर खेती से ऐसे लोगों की मदद हो रही है.
साइकिल की सवारी
शहरों में काम पर या स्कूल जाने के लिए अच्छा ट्रांसपोर्ट सिस्टम जरूरी है. लेकिन आबादी बढ़ने से सड़कों पर भीड़ भी बढ़ेगी और ट्रैफिक जाम की समस्या भी पैदा होगी. कार्बन फ्री होने की कोशिश कर रहे कोपेनहेगन ने साइकिल के रास्ते बनाए हैं.
बोगोटा की बसें
कोलंबिया की राजधानी बोगोटा ने ट्रैफिक जाम की समस्या सुलझाने के लिए रैपिड ट्रांजिट सिस्टम का सहारा लिया है. 2000 में शुरू हुए सिस्टम के तहत हर रोज 20 लाख लोग बसों का इस्तेमाल करते हैं. शह अपनी डीजल बसों की जगह इलेक्ट्रिक बस चलाएगा.
कचरे की समस्या
हर शहर की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है कि कचरे का निपटारा. स्वीडन के शहर कचरे को जलाकर बिजली पैदा करते हैं. सिर्फ एक प्रतिशत कचरा जमीन के नीचे जाता है. सैन फ्रांसिस्को ने प्लास्टिक बैग पर रोक लगा दी है. वह 2020 तक कचरामुक्त हो जाएगा.
सांस लेने में दिक्कत
शहरों में सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण होता है, लेकिन साफ और सुरक्षित वातावरण शहरों को रहने लायक बनाने के लिए जरूरी है. स्मॉग के लिए कुख्यात मेक्सिको सिटी को इस साल उसे गाड़ियों पर रोक लगानी पड़ी और लोगों को घर में रहने को कहना पड़ा.
गाड़ी पर रोक
प्रदूषण का सामना करने वाले दिल्ली शहर ने भी 2016 में इवन ऑड का परीक्षण किया. एक दिन इवन तो एक दिन ऑड गाड़ियां सड़कों नहीं उतरीं. मेक्सिको सिटी ने शहर के आस पास फिर से जंगल लगाने और ग्रीस ट्रांसपोर्ट का भी सहारा लिया है. 2019 में फिर दिल्ली में ऑड ईवन लागू होगा.
स्मॉग सोखने वाली दीवार
इस साल मेक्सिको सिटी ने अपनी हॉय नो सिर्कुला पहल फिर से दुहराई जिसका मतलब है आज ड्राइव न करें. इसमें कार के मालिकों पर हफ्ते में एक दिन कार चलाने की रोक होती है. इसके अलावा अस्पताल की ये दीवार ऐसे मैटेरीयल से बनी है जो स्मॉग सोखती है.
हाथ में ताकत
शहर ग्रीन हाउस गैसों का 70 प्रतिशत उत्सर्जन करते हैं. कोपेनहेगन, वेंकूवर और माल्मो जैसे शहरों ने इसे कम करने का जिम्मा लिया है. दक्षिण जर्मन शहर फ्राइबुर्ग ने इसके लिए सौर ऊर्जा, ग्रीन ट्रांसपोर्ट और रिसाइक्लिंग में निवेश बढ़ाया है.
कंक्रीट का जंगल
हरे भरे इलाके शहरों का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं. यहां लोग आराम का समय बिताते हैं और यह कंक्रीट के शहर की गर्मी भी घटाता है. एशिया के ग्रीन शहरों में नंबर एक सिंगापुर अत्यंत घना बसा द्वीप है लेकिन यहां 50 प्रतिशत इलाका हरा भरा है.