शरणार्थी संकट में बढ़ा मैर्केल पर दबाव
२२ जनवरी २०१६शरणार्थी संकट पर यूरोप में बढ़ते मतभेदों के बीच मानुएल वाल्स ने कहा है कि सीमा पर आ रहे शरणार्थियों की भीड़ यूरोपीय संघ के विचार को खतरा पहुंचा रही है. पिछले साल जर्मनी में ही ग्यारह लाख से ज्यादा शरणार्थी आए. चांसलर अंगेला मैर्केल ने जर्मनी का मानवीय चेहरा दिखाते हुए दरवाजे खोल दिए थे. लेकिन शुरुआती उत्साह के बाद जर्मनी के अनुदारवादी भी शरणार्थियों के स्वागत की नीति का विरोध कर रहे हैं. वाल्स ने कहा कि रिफ्यूजी संकट यूरोपीय संघ को अस्थिर कर देगा, इसलिए सीमा पर सख्त नियंत्रण की जरूरत है.
फ्रांसीसी प्रधानमंत्री ने मैर्केल से अलग संदेश दिए जाने की मांग की जिन्होंने यूरोपीय देशों से शरणार्थियों का कोटा तय करने की मांग की है. पूर्वी यूरोप के देश इसका जमकर विरोध कर रहे हैं, जिसकी वजह से शरणार्थियों को रोकने के लिए कई देशों ने सीमा पर कंट्रोल करना शुरू कर दिया है और खुले आवागमन की शेंगेन संधि के लिए खतरा पैदा हो गया है. वाल्स ने कहा, "जर्मनी के सामने अहम चुनौती है. हमें जर्मनी की मदद करने की जरूरत है. लेकिन अभी हमारा पहला संदेश यह होना चाहिए कि हम यूरोप में सभी शरणार्थियों का स्वागत नहीं करेंगे."
90 फीसदी मैर्केल के खिलाफ
इस बीच चांसलर अंगेला मैर्केल की एक चुनौती घरेलू समर्थकों को यह समझाने की है कि शरणार्थियों पर उनकी नीति सही है. शरणार्थियों की सीमा तय करने की पार्टी के दक्षिणपंथी धरे और सहयोगी पार्टी सीएसयू की मांगों को वे अब तक ठुकराती रही हैं, लेकिन दबाव इतना बढ़ गया है कि उनकी अपनी पार्टी के 90 प्रतिशत मतदाता उनकी नीतियों से सहमत नहीं दिखते. आने वाले समय में तीन प्रांतों में चुनाव होने वाले हैं और चांसलर की सीडीयू पार्टी को डर है कि उसका समर्थन घट सकता है. चांसलर की नीतियों से नाराज मतदाता अल्टरनेटिव फॉर डॉयचलंड पार्टी की ओर जा रहे हैं जिसे इन चुनावों में दस प्रतिशत तक मत मिलने की भविष्यवाणी की जा रही है.
चांसलर अंगेला मैर्केल की दूसरी कोशिश तुर्की को यह समझाने की है कि वह सीरिया से आ रहे शरणार्थियों को अपनी सीमाओं में रोक कर रखे. इसके लिए यूरोपीय संघ ने तुर्की को 3 अरब यूरो की मदद देने का वायदा किया है ताकि शरणार्थियों पर हो रहे खर्च की कुछ भरपाई हो सके. तुर्की इसे अपर्याप्त बता रहा है और अतिरिक्त मदद की मांग कर रहा है. दूसरी ओर जर्मनी के उप चांसलर जिगमार गाब्रिएल का कहना है कि तुर्की शरणार्थियों को रोकने का अपना वादा पूरा नहीं कर रहा है. अभी भी हर रोज करीब 3000 शरणार्थी जर्मनी आ रहे हैं, जो दमित पीड़ित लोगों को शरण पाने का संवैधानिक अधिकार देता है.
मैर्केल को ओबामा का समर्थन
इस बीच जर्मनी और तुर्की द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप के सबसे गंभीर शरणार्थी संकट के मुख्य फरीक बन कर उभरे हैं और दोनों ही बर्लिन में पहली बार हो रही परामर्शी बैठक में कड़ी सौदेबाजी कर रहे हैं. मैर्केल ने घरेलू विरोधियों को शरणार्थियों की संख्या में महत्वपूर्ण कमी का आश्वासन दिया है और इसके लिए वे अंतरराष्ट्रीय प्रयासों पर भरोसा कर रही हैं. तुर्की यूरोप आ रहे शरणार्थियों का लॉन्चपैड है जो 20 नवंबर को हुए समझौते के बावजूद ग्रीस के साथ जुड़े समुद्र से रबर की नावों की मदद से आ रहे हैं. यूरोपीय संघ ने भी 3 अरब यूरो देने का वादा अभी तक पूरा नहीं किया है. सदस्य देश अभी इस पर बहस कर रहे हैं कि कौन कितना देगा.
शरणार्थी समस्या सुलझाने के अपने अंतरराष्ट्रीय प्रयासों में चांसलर मैर्केल को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा का भी समर्थन मिला है. ओबामा ने गुरुवार को मैर्केल के साथ फोन पर बातचीत की और सीरियाई शरणार्थियों के लिए दाताओं के सम्मेलन के लक्ष्यों पर चर्चा की.जर्मनी के वित्तमंत्री वोल्फगांग शोएब्ले ने सीरिया की सीमा पर स्थित देशों को अरबों यूरो देने की वकालत की है और कहा है कि यूरोप को समझना होगा कि शरणार्थी संकट के समाधान पर उससे कहीं ज्यादा खर्च होगा जितना पहले सोचा गया था. जर्मन सरकार के प्रवक्ता के अनुसार राष्ट्रपति ओबामा ने चांसलर मैर्केल को बड़े योगदान का आश्वासन दिया है.
एमजे/आईबी (एएफपी, डीपीए)