भूमध्य सागर में 700 से ज्यादा शरणार्थियों की मौत
२० अप्रैल २०१५रविवार को हुई इस त्रासदी को भूमध्य सागर की सबसे बड़ी दुर्घटना बताया जा रहा है. सोमवार की अखबारों के शीर्षक कुछ इस प्रकार रहे, "ईयू का सबसे काला दिन", "उदासीनता विकल्प नहीं", "ईयू और उसकी स्वार्थी, घृणित शरणार्थी नीतियों के लिए शर्मनाक". स्वीडन के एक अखबार ने लिखा, "अब यह दोहराया नहीं जाएगा, यह बात हम सैकड़ों बार नहीं कह सकते".
सोमवार को लग्जेमबर्ग में यूरोपीय संघ के गृह मंत्रियों की आपातकालीन बैठक बुलाई गयी है. इसे ध्यान में रखते हुए ब्रिटेन के अखबार द टेलीग्राफ ने लिखा है कि संघ के सुझाव "हजारों शरणार्थियों की मेजबानी करने वाले देशों के सहयोग" पर आधारित होने चाहिए. अखबार ने इरिट्रिया जैसे देशों पर मानवाधिकारों को सुधारने हेतु दबाव डालने की भी बात कही है. बेल्जियम के अखबार ले सोआ ने यूरोपीय आयोग के प्रमुख जाँ क्लोद युंकर और यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष डोनाल्ड टस्क की आलोचना करते हुए लिखा है कि उनकी जिम्मेदारी बनती है कि वे इस त्रासदी पर मिल कर प्रतिक्रिया दें. अखबार ने लिखा है, "यूरोपीय नेता बखूबी जानते थे कि वसंत की शुरुआत से समुद्र में अफ्रीकी शरणार्थियों की संख्या सभी रिकॉर्ड तोड़ देगी."
कई अखबारों ने बेहतर खोज और राहत अभियान की भी मांग की है. अक्टूबर में यूरोपीय संघ ने इटली के मारे नोस्ट्रुम मिशन को बजट की दुहाई देकर रद्द कर दिया था. ईयू का यह भी कहना था कि यह मिशन बड़ी संख्या में शरणार्थियों को यूरोप आने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है. पुर्तगाल के अखबार ने इस बारे में लिखा है, "संघ ने वही किया जो वह सबसे अच्छी तरह कर सकता है, अपनी आंखें मूंदी और पैसा गिनने लगा. भूमध्य सागर श्मशान बन गया है, यह यूरोप के नीति के लिए शर्मनाक है."
वहीं लंडन टाइम्स ने लिखा है, "वे आपके और मेरे जैसे लोग हैं, वे कीड़े मकौड़े नहीं हैं." अखबार ने यह प्रतिक्रिया ब्रिटेन के एक अखबार में छपे संपादकीय के संदर्भ में दी है. संपादकीय में लिखा गया था कि शरणार्थियों की नांवों पर युद्धपोतों से हमला कर उन्हें लौटा देना चाहिए. हादसे के फौरन बाद यूरोपीय संघ की ओर से शोक संदेश आने लगे. इस पर ब्रिटेन के मशहूर अखबार टेलीग्राफ ने लिखा है, "रविवार को हमने शब्द सुने. अब हम कार्रवाई देखना चाहते हैं, नहीं तो यूरोप को बहुत ही अप्रिय रूप से आंका जाएगा.
आईबी/एमजे (एएफपी, रॉयटर्स)