व्हेलों पर ड्रोन से नजर
दुनिया में कुछ समुद्री इलाकों में अगर आप दूरबीन लगाए कुछ घंटे इंतजार करें जो शायद व्हेल को देख पाएं. अमेरिकी वैज्ञानिकों ने व्हेल देखने के लिए एक तेज और पक्का तरीका इजाद किया है - जो है ड्रोन की मदद से व्हेल स्पॉटिंग.
ऊपर का विज्ञान
व्हेलों के व्यवहार के बारे में ज्यादा जानकारी इकट्ठा करने के लिए नेशनल ओशेनिक एंड एटमोस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के रिसर्चर ड्रोनों का इस्तेमाल कर रहे हैं. इस हाईटेक उपकरण से व्हेलों की शिकार करने की तकनीक और सामाजिक बर्ताव के बारे में कई अहम जानकारियां मिली हैं.
दिखीं "किस" करती व्हेलें
व्हेलों की बढ़िया तस्वीर लेने के लिए छह रोटरों और एक शक्तिशाली कैमरे से लैस ड्रोन समुद्र से करीब 130 फीट (40 मीटर) की ऊंचाई पर मंडराता है. इतनी ऊंचाई पर रहने से व्हेलें परेशान नहीं होतीं और उनके बीच होने वाले ऐसे अंतरंग पल भी कैमरे में कैद हो जाते हैं.
नई संभावनाएं खुलीं
किसी भी इलाके में व्हेलों की पूरी आबादी पर नजर रखने में ड्रोनों से बड़ी मदद मिली है. रिसर्चरों को जानवरों की संख्या और उनकी शारीरिक हालत के बारे में लंबे समय तक जानकारी रखने और दूसरी जगहों से इकट्ठा किए डाटा के साथ उसकी तुलना करने में आसानी हो रही है.
जितनी बड़ी, उतनी बेहतर
आर्कटिक में लंबी लंबी यात्राओं के दौरान व्हेलें कुछ भी नही खातीं, इसलिए वे पहले से ही अपने शरीर में ब्लबर का पर्याप्त स्टॉक रखती हैं. ब्लबर एक खास तरह का बॉडी फैट होता है. यह नवजात बच्चों की मांओं के लिए खास तौर पर जरूरी है, जो बच्चों को दूध पिलाती हैं. तस्वीर में दिख रही कई मादा व्हेल कई टन भारी होने के बावजूद शायद थोड़ी कुपोषित हो.
कितने करीब जा सकते हैं?
एनओएए के वैज्ञानिकों के पास काली-सफेद धारियों वाली ओरका व्हेल और ग्रे व्हेलों के पास जाने का खास परमिट है. इन विशाल और शानदार जीवों को बचाने के लिए व्हेल वॉचरों को आमतौर पर 300 मीटर की दूरी बनाए रखने का निर्देश होता है. इसका मतलब हुआ कि ऐसी नजदीकी तस्वीरें बेहद खास रहेंगी.