हर नौकरीपेशा इंसान की यही कहानी
१५ अप्रैल २०१६दफ्तर के तनाव को कौन नहीं जानता. दिन भर मेहनत करो, बॉस के दिए टारगेट पूरे करो, अभी खुशी का अहसास होने ही लगता है कि नया प्रोजेक्ट, नए टारगेट. ऐसा लगता है जैसे आप अपने बॉस को कभी खुश कर ही नहीं सकते. चार मिनट का यह वीडियो इसी तनाव को दर्शाता है. कैसे मैनेजमेंट आपकी सीमाओं को परखता है. जहां आप पहले से ही 100 फीसदी मेहनत कर रहे होते हैं, अचानक ही आपसे 150 फीसदी की उम्मीद रख दी जाती है और ऐसे कंपनी आपको निचोड़ना शुरू करती है.
प्रतिस्पर्धा के इस जमाने में हर नौकरीपेशा इंसान पर नौकरी जाने का खतरा मंडराता रहता है, जिसका कंपनियां फायदा उठाती हैं. बिना साफ शब्दों में कहे वे एक तरह से आपको ब्लैकमेल करती हैं कि अगर तुम नहीं, तो कोई और काम कर देगा और ऐसी अनकही धमकियों के चलते कर्मचारी अपने हक की छुट्टी लेते हुए भी डरता है. जिस परिवार की खुशहाली के लिए वह काम करता है, काम उस परिवार से ही उसे धीरे धीरे दूर करने लगता है.
इस फिल्म के अंत में सवाल आता है, "क्या आप अपनी नौकरी और निजी जीवन के बीच सही संतुलन बना रहे हैं?" वीडियो देखिए और खुद से भी यही सवाल कीजिए.