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५ अगस्त २०१६

कई खिलाड़ी बेहद प्रतिभाशाली होते हुए भी आखिरी मौके पर चूक जाते हैं. देखिये ओलंपिक खेलों के ऐसे ही लम्हे, जब सालों की तैयारी एक झटके में बर्बाद हो गई.

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Rio_Momente_0408 Martina Rizzelli Gymnastic
तस्वीर: Reuters/D.Sagolj

आज से 30 साल पहले खेलों में मनोचिकित्सकों की कोई जगह नहीं थी. लेकिन धीरे धीरे उनकी जगह बनी और अब तो वे बेहद अहम माने जाते हैं. असल मनोचिकित्सक खिलाडियों शांत करते हैं. बड़े मुकाबले से पहले वे नर्वस खिलाड़ियों को सहारा देते हैं.

कोच और टीम स्टाफ खिलाड़ियों से बार बार यह कहते हैं कि वे आखिरी समय में जरूरत से ज्यादा कुछ न करने की कोशिश करें. प्लान बदलने पर गलती की संभावना बहुत ज्यादा हो जाती है.

कई बार खिलाड़ियों दूसरों का प्रदर्शन देखकर कुछ नया करने की कोशिश करते हैं. नवर्सनेस के माहौल के बीच ऐसा प्रयोग भारी पड़ता है. इसीलिए वक्त के साथ खेलों में प्लानिंग और ट्रेनिंग की अहमियत बढ़ती चली गई.