विसकॉन्सिन हमले का एक साल
५ अगस्त २०१३अमेरिका के एटॉर्नी जनरल एरिक होल्डर ने एक ब्लॉग में कहा, "मुझे घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि अपराध पीड़ितों के लिए बने न्याय विभाग का ऑफिस विस्कॉन्सिन न्याय विभाग को 5,12,000 डॉलर की मदद देगा जिस का इस्तेमाल वह इस भयानक हमले में पीड़ित लोगों की मानसिक सेहत और ट्रॉमा सर्विस के लिए कर सकेंगे. इसकी हम प्रशंसा करते हैं."
जानलेवा दिन
5 अगस्त को एक अजनबी विस्कॉन्सिन राज्य में ओक क्रीक के गुरुद्वारे के बाहर पहुंचा. गुरुद्वारे में काम कर रहे दो सिख अनुयायी ने उससे पूछा कि क्या वह चाय पीना चाहता है. इस सवाल का जवाब उसने गोलियों से दिया. दोनों मारे गए. हमलावर गुरुद्वारे की ओर बढ़ा. गुरुद्वारा बनाने वाले सतवंत सिंह कालेका को आशंका हुई. उन्होंने इमारत में मौजूद सभी श्रद्धालुओं को छिपने के लिए कहा और खुद फल काटने का चाकू लेकर डटे रहे और अमेरिकी सेना में रह चुके वेड माइकल पेज की गोलियों का शिकार बने.
लेकिन गुरुद्वारे में कई लोगों की जान बच गई. 65 साल के कालेका के बेटे अमरदीप कालेका बताते हैं, "मेरे पिता को पांच गोलियां लगीं, शरीर के अलग अलग हिस्सों पर. बगल में, जांघ पर. जब हमने उनका शरीर देखा तो उनके नाखूनों में खून और बाल थे. मतलब दोनों के बीच जोरदार हाथापाई हुई थी." इसके बाद पेज आराम से बाहर आ गया. तब तक गुरुद्वारे के बाहर पुलिस आ चुकी थी. पेज ने आत्महत्या से पहले एक अधिकारी पर गोलियां बरसाई. मिलवॉकी में हुए इस हमले ने छह लोगों की जान ली. एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हुआ. अधिकारी लेफ्टिनेंट ब्रायन मर्फी भी बुरी तरह घायल हुए थे लेकिन बुलेटप्रूफ जैकेट ने उन्हें कुछ हद तक बचा लिया.
नफरत के शिकार
सिख समुदाय पर यह अब तक का सबसे बड़ा हमला है. सिखों के खिलाफ नफरत फैलाने वाले छोटे हमले होते रहते हैं. इस हमले के ठीक पहले एक दूसरे गुरुद्वारे की दीवारों पर आतंकवादी लिख दिया गया था. मई 2012 में कैलिफोर्निया में एक 81 साल के सिख वृद्ध को स्टील पाइप से बुरी तरह मारा गया और 2011 में दो सिखों पर गोलियां चलाई गईं. वे प्रांतीय राजधानी सैक्रेमेंटो के पास घूम रहे थे. एरिजोना में इस हमले के कुछ दिन बाद एक पेट्रोल पंप के सिख मालिक को मार दिया गया. विसकॉन्सिन के हमले के बाद एक पैनल ने सलाह दी है कि एफबीआई सिख और दूसरे धर्मों के खिलाफ नफरत भरे हमलों या अपराधों के आंकड़े जमा करे.
11 सितंबर 2011 के बाद सिख विरोधी हिंसा और भड़की क्योंकि लोगों को लगने लगा कि सिख कट्टरपंथी इस्लाम से जुड़े हुए हैं. इसका कारण उनकी पगड़ी और लंबी दाढ़ी है जिसे आम अमेरिकी नागरिक ओसामा बिन लादेन से जोड़ते हैं. साथ ही सिखों के बारे में जानकारी अभाव है.
अमेरिकी डेमोक्रेट जो क्रॉली ने इस विषय पर काफी प्रगति होने का दावा किया है और उम्मीद जताई है कि ओक क्रीक हत्याकांड लोगों में सिख समुदाय के प्रति जागरूकता लाएगा. उन्होंने कहा, "मैंने अमेरिकी सिख लोगों को रास्ते में देखा उनके पास बड़े अमेरिकी झंडे थे. मुझे लगा कि कितने दुख की बात है कि ये किसी हमले के लिए जिम्मेदार नहीं हैं फिर भी इन्हें अमेरिका के लिए देशभक्ति दिखाने की जरूरत पड़ रही है कि कोई उन्हें मारे पीटे नहीं."
सिख कोएलिशन एड्वोकेसी ग्रुप को बनाने वाले अमरदीप सिंह कहते हैं कि इस मुद्दे पर और बहुत काम करना होगा. उन्होंने अमेरिकी एयरपोर्ट सुरक्षा के दौरान सिखों की पगड़ियों की छड़ से जांच करने का विरोध किया है. वे कहते हैं कि इससे सिख और आतंकवाद का गलत कॉम्बिनेशन बन जाता है. वे चाहते हैं कि स्कूलों में सिख धर्म के बारे में बताया जाए. न्यूयॉर्क में ग्रुप का सर्वे दिखाता है कि न्यू यॉर्क और सैन फ्रांसिस्को इलाके के स्कूलों में आधे से ज्यादा सिख बच्चों को परेशान किया जाता है.
क्या किया जाए
विसकॉन्सिन हमले के पहले ही राष्ट्रपति बराक ओबामा ने व्हाइट हाउस में गुरु नानक का जन्मोत्सव मनाना शुरू किया था. हालांकि इस हमले के बाद पीड़ितों को सांत्वना देने राष्ट्रपति ओबामा नहीं पहुंचे थे लेकिन उनकी पत्नी मिशेल ओबामा और वरिष्ठ अधिकारी वहां गए. लेकिन विस्कॉन्सिन हमले में अपने पिता को खोने वाले 35 साल के कालेका को चिंता है कि नेता समस्या की जड़ को सुलझाने की कोशिश नहीं कर रहे हैं. कालेका कहते हैं, "वह आर्मी का था. उसके दाहिने कान में प्लग लगा हुआ था क्योंकि वह जानता था कि वह दाहिने हाथ से ज्यादा गोलियां चलाएगा. वह शार्पशूटर था और यह देखना अविश्वसनीय था कि उसमें कितनी नफरत भरी हुई थी. सरकार ने उसे ट्रेनिंग थी, वह सेना में था."
नफरत फैलाने वाले गुटों पर नजर रखने वाले सदर्न पॉवर्टी लॉ सेंटर का कहना कि वह पेज के बारे में करीब एक दशक से जानते थे. वह श्वेत श्रष्ठता को दावा कर रहे संगीत बैंड्स में शामिल था. सेंटर के वरिष्ठ अधिकारी मार्क पोटोक कहते हैं, "दुख की बात यह है कि वेड पेज का नजरिया बहुत बुरा था, लेकिन वह हजारों लाखों लोगों से अलग नहीं था.
एएम/एमजी (एएफपी, पीटीआई)