विवादित पानी में पांव फैलाता चीन
हाल ही में सामने आए उपग्रह चित्र देखकर अनुमान लगाया जा रहा है कि दक्षिण चीन सागर की विवादित जल सीमा में उभरते जमीन के टुकड़े चीन के सैनिक ठिकाने हो सकते हैं. हैरान करने वाली तस्वीरें.
फायरी क्रॉस रीफ पर चीन ने निर्माण कार्य जारी रखा हुआ है. 28 जून 2015 की यह तस्वीर दिखाती है कि यहां करीब 3,000 मीटर लंबी हवाई पट्टी लगभग बन कर तैयार हो चुकी है. फोटो में दो हैलीपैड, संचार एंटीना और रडार जैसी संरचना भी दिखती है.
समुद्र के विवादित हिस्से के स्प्रैटली द्वीप के पश्चिम में स्थित फायरी क्रॉस रीफ पर निर्माण कार्य अगस्त 2014 में शुरु हुआ. ड्रेजर उपकरणों की मदद से रीफ पर करीब 3,000 मीटर लंबी और 200 से 300 मीटर चौड़ी सतह तैयार कर ली गई है.
नवंबर 2014 की इस तस्वीर में रीफ पर चल रहे निर्माण कार्य को साफ साफ देखा जा सकता है. कथित तौर पर रीफ पर कुछ मिलिट्री टैंक और बैरक पहुंचाए जा चुके हैं.
साउथ जॉनसन रीफ ऐसी पहली रीफ थी जिस पर निर्माण कार्य सबसे पहले पूरा हुआ. हाल की ही यह तस्वीर दिखाती है कि उत्तरी छोर पर एक रडार का काम लगभग पूरा हो गया है. एशिया मेरीटाइम ट्रांसपेरेंसी इनिशिएटिव (एएमटीआई) के अनुसार अब यहां एक विशाल, बहुमंजिले सैनिक सुविधा केंद्र का निर्माण चल रहा है.
ऊर्जा के समृद्ध साधनों से भरे इन क्षेत्रों पर चीन अपना आधिपत्य जताता आया है. यहां नौवहन मार्ग से करीब 5 ट्रिलियन डॉलर का कारोबार होता है. अमेरिका इस निर्माण को ग्रेट वॉल ऑफ सैंड कह चुका है तो चीन समुद्री संसाधनों पर अपना ऐतिहासिक अधिकार मानता है.
फिलिपींस, वियतनाम, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान ने भी इन हिस्सों पर अपने अपने दावे पेश किए हैं. इसके कारण कई बार जमीनी सीमा पर कई विवाद उभरे. 2014 में हनोई और चीन के बीच इस हिस्से में तेल के विशाल भंडार पर हक के मामले ने काफी तूल पकड़ा था.
अमेरिका को चिंता इस इलाके में चीन की बढ़ती सैनिक शक्ति की है. पूरे प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में इससे अमेरिकी नौसैनिक और आर्थिक शक्ति के कम होने का अंदेशा है. वॉशिंगटन बार बार चीन से कहता आया है कि वह इन विवादित क्षेत्रों में अपना आधिपत्य स्थापित करने वाले प्रोजेक्ट बंद करे, जिन्हें चीन ठुकराता आया है.
फिलिपींस ने यूएन में इस बाबत 2014 में एक आधिकारिक शिकायत भी दर्ज कराई है. शिकायत में "मनीला और चीन के इस तरह के प्रयासों से पूरे साउथ चाइना सी में जैवविविधता और पारिस्थितिकी तंत्र को अभूतपूर्व नुकसान पहुंचाने" की बात कही गई. यह भी दावा है कि यहां कोरल रीफ के विनाश के कारण सालाना करीब 10 करोड़ डॉलर का आर्थिक नुकसान भी हो रहा है.