लौट आया अकेला जॉर्ज
उसका जीवन दुखी था और दो साल पहले उसकी मौत हो गई. वह दुनिया का इकलौता इतने बड़े आकार का कछुआ था. लेकिन गालापागोस द्वीप पर रहने वाले जॉर्ज कछुए की शानदार मूर्ति बनाई गई है.
आखिरी...
गालापागोस द्वीप पर रहने वाला अकेला कछुआ जॉर्ज. अगर बिलकुल सही कहें तो गालापागोस के पिंटा द्वीप पर रहने वाला. उस प्रजाति के बड़े भारी कछुए इसी द्वीप पर रहते हैं. और चेलोनॉयडिस नीग्रा एबिंगडोनी प्रजाति का यह आखिरी कछुआ था.
सुंदर द्वीप
लोनसम जॉर्ज एक तरह से गालापागोस द्वीप का प्रतीक बन गया था. वहां के खास जानवरों और पेड़ों में से एक. यह द्वीप जमीन से काफी अलग थलग हैं लेकिन जॉर्ज इस स्वर्ग पर मंडरा रहे खतरे का भी एक प्रतीक था.
साथ रहो!
जॉर्ज की मौत के बाद साफ था कि उसे इस दुनिया में किसी तरह रहना होगा. दिल के दौरे के बाद मरे जॉर्ज का शरीर गालापागोस से न्यूयॉर्क भेजा गया.
माप
वहां जॉर्ज को सिर से पैर तक नापा गया. उसके कवच को, लंबाई और पंजों को भी.
रिलोडिंग
एक पेपर पर जॉर्ज का पूरा चित्र बनाया गया ताकि उसे प्रदर्शनी में रखा जा सके.
जीवित रहे
कोशिश है कि जॉर्ज एकदम जीवित दिखाई दे, जैसे कि वह अभी भी इस धरती पर है. दो साल तक जॉर्ज की खाल पर काम किया गया. इसमें सबसे अहम रहे कछुए की विशेषज्ञ एलेनोर स्टर्लिंग.
विशालकाय
अब जॉर्ज ऐसा दिखता है. म्यूजियम में आने वाले लोगों को समझ में आना चाहिए कि जॉर्ज असल में कितना बड़ा था. उसका वजन सिर्फ 90 किलो था. जबकि इस प्रजाति के कछुए का वजन 422 किलोग्राम तक दर्ज किया गया है.
फिर अपने देश में
न्यूयॉर्क के नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम में जॉर्ज का पुतला तीन महीने रहेगा. इसके बाद वह इक्वाडोर के गालापागोस द्वीप पर लौट जाएगा और वहां के संग्रहालय में रखा जाएगा.