लोकपाल का लंबा सफर
भारतीय संसद ,के ऊपरी सदन राज्य सभा में लोकपाल बिल पास हुआ. अब लोक सभा में इसे पेश किया जाएगा.
फूट पड़ा गुस्सा
कोयला, 2जी, कॉमनवेल्थ और आदर्श सोसाइटी घोटाला, मनमोहन सिंह सरकार के दूसरे कार्यकाल में एक के बाद एक सामने आए इन घोटालों ने खूब सुर्खियां बटोरीं. एक तरफ भ्रष्टाचार तो दूसरी तरफ आसमान छूती महंगाई. यहीं से असंतोष की शुरुआत हुई.
अनशन पर अन्ना
अगस्त 2011 में भ्रष्टाचार के खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे एक बार फिर आमरण अनशन पर बैठे. धीरे धीरे देश भर के लोगों का हुजूम उनके साथ आ गया. दिल्ली का रामलीला मैदान जागते भारत की आहट देने लगा.
काफिला बनता गया
अन्ना हजारे के साथ खड़े अरविंद केजरीवाल और किरण बेदी जैसे लोगों ने भी मुहिम को जन जन तक पहुंचाया. धीरे धीरे कई नामी हस्तियां भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में अन्ना के साथ खड़ी हो गईं.
भारत भर में लोकपाल
इस बार अनशन को अगस्त क्रांति नाम दिया गया. अन्ना 288 घंटे अनशन पर बैठे रहे. धीरे धीरे देश भर के कई शहरों में लोकपाल आंदोलन की हवा बहने लगी.
संसद से हंगामा
इस बीच भारतीय संसद में भी इस पर खूब बहस हुई. सदन के भीतर और बाहर होती बहस में कपिल सिब्बल, मुलायम सिंह यादव और शरद यादव जैसे नेताओं ने आंदोलन का विरोध किया.
राजनीतिक लामबंदी
चारा घोटाले के दोषी और आरजेडी के नेता लालू प्रसाद तो आंदोलन में हिस्सा लेने वाले लोगों पर ही बरस पड़े. लालू ने कहा, बिल पास हुआ तो दरोगा भी सांसद को लपेट देगा, थप्पड़ मार देगा.
राजनीति में दस्तक
बढ़ते दबाव के बीच लोकसभा में लोकपाल बिल पास हुआ लेकिन उसे काफी कमजोर कहा गया. नेताओं की 'राजनीति में आओ' जैसी ललकार के बीच अरविंद केजरीवाल ने अपनी पार्टी बनाने का एलान किया.
अन्ना से दूर अरविंद
इसी मोड़ पर अन्ना और अरविंद केजरीवाल का साथ छूट गया. अन्ना ने राजनीति से दूर रहने का फैसला किया और केजरीवाल ने अलग राह चुनी.
अरविंद से 'आप' तक
सूचना अधिकार कार्यकर्ता रहे अरविंद केजरीवाल ने बीते साल आम आदमी पार्टी (आप) बनाने का एलान किया. राजनीति में आओ कहने वाले इस बार फिर बरस पड़े, कहने लगे, "देखा पहले ही कहा था कि इनके इरादे राजनीतिक थे."
दिल्ली में आप, आप
दिसंबर में हुए विधानसभा चुनावों में केजरीवाल की पार्टी आप ने दिल्ली में अप्रत्याशित सफलता पाई. पार्टी ने 28 सीटें जीत कर इतिहास रच दिया. नतीजों ने बताया कि देश की राजनीति बदलाव चाहती है.
आप के बाद लोकपाल
भ्रष्टाचार के लिए बदनाम, चार राज्यों में करारी हार और आप की सफलता के बाद केंद्र की सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस अब अपना राजनीतिक ढर्रा बदलने की कोशिश कर रही है. लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी लोकपाल बिल पास कराना चाहती है. लेकिन इसकी मजबूती पर अभी शक है.