लैंगिक असमानता पाटने में लग जायेंगे 100 साल
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2017 के मुताबिक दुनिया में महिलाओं और पुरूषों के बीच लैंगिक असमानता बढ़ी है. 144 देशों को शामिल करने वाले इस सूचकांक में भारत 21 पायदान फिसलकर 108वें स्थान पर आ गया है.
प्रयास ठहरे
रिपोर्ट में कहा गया है कि दशकों की धीमी प्रगति के बाद वर्ष 2017 में महिला-पुरुष असमानता को दूर करने के प्रयास ठहर से गये हैं. साल 2006 के बाद यह पहला मौका है जब यह अंतर बढ़ा है
आकलन के मानक
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (विश्व आर्थिक मंच) दुनिया भर में चार मानकों, शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक अवसर और राजनीतिक प्रतिनिधित्व का आकलन कर यह रिपोर्ट तैयार करता है.
सौ साल का समय
रिपोर्ट के मुताबिक अगर मौजूदा हालात कायम रहते हैं तो महिलाओं को पुरुषों की बराबरी करने में सौ साल से भी अधिक का समय लगेगा. पिछली रिपोर्ट में यह समय 83 साल बताया गया था.
पड़ोसियों से पीछे
कम वेतन और अर्थव्यवस्था में महिलाओं की सीमित भागीदारी के चलते भारत का स्थान अपने पड़ोसी देश, चीन और बांग्लादेश से भी पीछे है.
कितना कम
रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने 67 फीसदी तक इस लैंगिक असमानता को कम किया है. जो उसके समकक्ष देशों के मुकाबले काफी कम है.
बेहतरीन देश
इस सूची में भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश 47वें और चीन 100वें स्थान पर हैं. वहीं सूची में पहला स्थान आइसलैंड को मिला है. इसके बाद दूसरे स्थान पर नॉर्वे और तीसरे स्थान पर फिनलैंड हैं.
महिलाओं की भागीदारी
रिपोर्ट के मुताबिक कार्यस्थल और राजनीति में महिलाओं की भागीदारी तेजी से घटी है. ताजा आकलन के मुताबिक दुनिया के कुल फैसलों में महिलाओं की भागीदारी महज 23 फीसदी है.
कितना समय
रिपोर्ट की मानें तो पश्चिमी यूरोपीय देशों में लैंगिक असमानता पाटने में 61 वर्षों का समय लगेगा, वहीं मध्य पूर्व में और उत्तरी अफ्रीका में 157 सालों से भी अधिक का समय लग सकता है.
बेहतर और खराब
सूची में निकारगुआ, स्लोवेनिया, आयरलैंड, न्यूजीलैंड और फिलिपींस को टॉप 10 देशों में जगह मिली है, वहीं सीरिया, पाकिस्तान और यमन में हालात सबसे खराब बताये गये हैं.