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लेक्चर देने पर उइगुर प्रोफेसर को जेल

२५ सितम्बर २०१४

एक प्रमुख चीनी विद्वान जिनका संबंध मुस्लिम उइगुर समुदाय से है, उन्हें क्लास में अशांत शिनजियांग पर टिप्पणी करने की सजा आजावीन कारावास के रूप में मिली है.

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तस्वीर: picture-alliance/Frederic J. Brown/afp/dpa

प्रोफेसर इल्हाम तोहती को अलगाववाद के आरोप में मंगलवार को यह सजा सुनाई गई है. अधिकार समूहों के साथ साथ अमेरिका और यूरोपीय संघ ने इस पर अफसोस जताया है. सरकारी समाचार एजेंसी शिंहुआ के मुताबिक तोहती के खिलाफ जो मामला बना है उसमें प्रोफेसर का वह लेक्चर भी जिसमें उन्होंने कहा है कि शिनजियांग सबसे पहले चीन के बहुसंख्यक हान के बजाय उइगुर समुदाय का था. तोहती ने यह तर्क दिया था कि चीन का संविधान हर एक नागरिक को बोलने की आजादी की इजाजत देता है, लेकिन सरकारी वकीलों का कहना है कि "चीनी नागरिकों को अपनी आजादी का पालन करते हुए ऐसा नहीं करना चाहिए कि सरकार के हितों को नुकसान पहुंचे."

तोहती की सुनवाई के दौरान विदेशी मीडिया को कोर्ट में मौजूद रहने की इजाजत नहीं थी, पुलिस ने पूरे इलाकों को सील कर दिया था. तोहती के वकील ली फांगपिंग ने एएफपी को बताया कि शिंहुआ द्वारा छापे गए बयान गलत थे. उन्होंने एएफपी से कहा, "सुनवाई के पहले हमें इन सबूतों को नहीं दिखाया गया क्योंकि हमें कहा गया कि यह सबूत बहुत संवेदनशील हैं. लेकिन अब फैसला प्रभावी होने से पहले ही इसी सबूत को सरकारी मीडिया के नाम पर मीडिया में जारी किया जा रहा है."

जातीय मामलों की देखरेख करने वाले एक चीनी अधिकारी का कहना है कि तोहती का मामला चीनी कानून के मुताबिक संभाला गया. जातीय मामलों के आयोग के उप निदेशक लुओ लिमिंग ने बीजिंग में पत्रकारों से कहा, "अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करना और कानून तोड़ने वालों को सजा दिलाना दो अलग अलग मामले हैं."

लुओ के हवाले से चीनी राष्ट्रीय रेडियो ने कहा, "उन्होंने चीन के कानून का उल्लंघन किया है. इसलिए उन्हें सजा हुई है. यह मसला अल्पसंख्यकों के वैध अधिकारों और हितों की रक्षा का नहीं है."

शिनजियांग में एक करोड़ उइगुर मुसलमान रहते हैं. पिछले साल इस इलाके में कई हमले और हिंसक झड़प हुए हैं जिसमें 200 लोग मारे गए हैं. चीन शिनजियांग के लिए आजादी की लड़ाई लड़ने वाले आतंकियों को इसे अशांति के लिए जिम्मेदार ठहराता है. अधिकार समूहों का कहना है कि भेदभाव और उइगरों के धर्म और भाषा पर सरकारी दमन ने हिंसा को बढ़ावा दिया है.

एए/आईबी (एएफपी)