लावे से संवरा लांसारोटी
५ दिसम्बर २०१३धरती के नीचे धधकता लावा और सक्रिया ज्वालामुखी वाले इलाके आज भी लांसारोटी की पहचान हैं. 845 वर्ग किलोमीटर वाले इस द्वीप में उत्तर की ओर जाने पर वादियों में रंग आने लगता है, लेकिन नजारा सुनसान ही दिखता है.
द्वीप के उत्तरी किनारे पर लांसारोटी का सबसे ऊंचा व्यूप्वाइंट है, मीराडोर डेल रियो. करीब 40 साल पहले आर्टिस्ट सेजार मानरीके ने इसे बनाया. द्वीप के पर्यटन पर इसका गहरा असर देखने को मिलता है. सेजार मानरीके फाउंडेशन के अफ्रेडो डियाज कहते हैं, "मानरीके का मानना था कि कलाकार की जिम्मेदारी पेंट करने या मूर्ति और इमारत बनाने से कहीं ज्यादा होती है और लांसारोटी में यह जिम्मेदारी उन्होंने अपने कंधों पर ली."
प्रकृति और कला का संगम
1992 में सेजार मानरीके का निधन हो गया, लेकिन आज हर साल दसियों हजार सैलानी उनका घर देखने आते हैं. यहां उन्होंने कला और प्रकृति के संयोग का कॉन्सेप्ट विकसित किया था. उन्होंने अपना मकान एक बड़े लावा फील्ड में बनाया. भूमिगत गलियां कमरों को एक दूसरे से जोड़ती हैं. यहां लावे के प्राकृतिक बुलबुलों को भी देख जा सकता है.
मानरीके 1950 के दशक के बाद से स्पेन के चोटी के पेंटरों में गिने जाने लगे थे. वे अपने शहर के प्रति प्यार और उत्साह को दूसरों के साथ बांटना चाहते थे, इसलिए उन्होंने पूरी रचनात्मकता के साथ द्वीप पर पर्यटन वाले प्रोजेक्ट शुरू किए.
गुफा में चमकता केकड़ा
यहां से कुछ ही दूर उनकी एक बेहद पुरानी कलाकृति है. खामियोस डेल आगुआ, यानि पानी की गुफाएं. यहां उजले केंकड़े की एक दुर्लभ प्रजाति रहती है, जो आम तौर पर समुद्र से 2,000 मीटर नीचे पाई जाती है. यह जगह द्वीप के लोकप्रिय आकर्षणों में शामिल है. कुदरत के खूबसूरत नजारे हजारों लोगों को यहां खींच लाते हैं.
खामियोस डेल आगुआ के उपरी हिस्से में एक तालाब है. कुछ साल पहले तक यहां लोग तैरने भी आया करते थे. इस बीच यहां इतने लोग आने लगे हैं कि यहां तैरा तो नहीं जा सकता, लेकिन मशहूर कलाकारों का कंसर्ट जरूर सुना जा सकता है. सेजार मानरीके ने यहां ज्वालामुखी के पहाड़ों में हजार सीटों वाला एक कंसर्ट हॉल बनाया.
चांद जैसे नजारे
लांसारोटी में टूर गाइड का काम करने वाले सैर्जियो वाले कहते हैं, "मैं और कहीं भी नहीं जाना चाहता. यहां मुझे सबसे ज्यादा मजा आता है. इस तरह के नजारे सिर्फ और एक जगह हैं, सिर्फ चांद पर. ये जगह मेरे लिए सब कुछ है."
जब धरती आग उगलती है, तो उसके बाद जो बचता है, उसे लांसारोटी के दक्षिण में स्थित टिमानफाया के नेशनल पार्क में देखा जा सकता है. यहां उठने वाले 33 में से कुछ ज्वालामुखी आज भी सक्रिय हैं. लेकिन खतरे की कोई बात नहीं. यहां के रेस्तरां में सतह के कुछ ही नीचे धधकते लावे का इस्तेमाल खाना पकाने और सैलानियों का मनोरंजन करने के लिए भी किया जाता है.
रिपोर्ट: एल्के श्वाब/ओएसजे
संपादन: ईशा भाटिया