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"रोहिंग्या पहले कहलाते थे बंगाली"

१२ अक्टूबर २०१७

अंतरराष्ट्रीय दबाव झेल रहे म्यांमार के सेना प्रमुख मिन अंग हलियांग ने कहा है कि रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार के मूल नागरिक नहीं हैं और इस पूरे मामले को मीडिया बढ़ा-चढ़ा कर पेश कर रहा है.

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Myanmar General Min Aung Hlaing
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Aung Shine Oo

म्यांमार में अमेरिकी राजदूत स्कॉट मारसिएल से मुलाकात के दौरान सेना प्रमुख ने अपना पक्ष रखा था. इस बातचीत को हलियांग ने अपने फेसबुक पन्ने पर भी साझा किया है. इससे एक दिन पहले संयुक्त राष्ट्र ने म्यांमार में सुरक्षा बलों को इस अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय पर व्यवस्थित रूप से हमले का जिम्मेदार बताया था. बीते 25 अगस्त को म्यांमार के रखाइन प्रांत में हुई हिंसा के बाद से अब तक पांच लाख रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश का रुख कर चुके हैं.

Myanmar Luftaufnahme eines verbrannten Rohingya Dorfes in der Nähe von Maungdaw
तस्वीर: Reuters/S. Z. Tun

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय के मुताबिक, "म्यांमार के सुरक्षा बलों ने रखाइन राज्य से लाखों रोहिंग्या मुसलमानों को बर्बर तरीके से देश के बाहर निकाल दिया, उनके घरों को आग लगा दी, फसलें तबाह कर दी गयीं और अब इन्हें वापस म्यांमार आने से भी रोका जा रहा है."

म्यांमार में लोकतंत्र स्थापित हो जाने के बावजूद सेना ताकतवर मानी जाती है. ऐसे में सेना प्रमुख का यह बयान काफी अहम है. हलियांग ने कहा कि रोहिंग्या मूल रूप से बंगाली है. बांग्लादेश की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, "वे अब उस देश का रुख कर रहे हैं जहां उनकी भाषा और संस्कृति है और उन्हें लगता है कि वे वहां सुरक्षित रहेंगे." रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार में दशकों से रह रहे हैं लेकिन अब भी म्यांमार इन्हें अपना नागरिक नहीं मानता.

म्यांमार सरकार इन्हें बांग्लादेशी कहती है. सेना प्रमुख ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा है, "ब्रिटिश राज में बांग्लादेश से ये रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार आ गये थे लेकिन इन अल्पसंख्यकों का नागरिकता पर कोई दावा नहीं है. ये यहां के मूल निवासी नहीं है और रिकॉर्ड बताते हैं कि ब्रिटिश शासन काल में ये रोहिंग्या नहीं बल्कि बंगाली कहलाते थे." हालांकि सेना प्रमुख ने अपनी इस पोस्ट में संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट का कोई उल्लेख नहीं किया है. 

इनके एक आदेश पर रुक सकता है रोहिंग्या संकट

एए/एके (रॉयटर्स, एएफपी)