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रोजगार बढ़ाने का नया तरीका

१२ दिसम्बर २०१३

जहां दक्षिण यूरोप में युवा नौकरियों के लिए तरस रही हैं, वहीं जर्मन कंपनियों को प्रतिभाशाली कर्मचारियों की तलाश है. एक नए अभियान के जरिए कंपनियों को अपने भावी कर्मचारियों के करीब लाने की कोशिश हो रही है.

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तस्वीर: DW/Guilherme Correia da Silva

यूरोप में औसतन हर 10वां व्यक्ति बेरोजगार है, स्पेन में हर तीसरा व्यक्ति बेरोजगार है. आंकड़े देश के मुताबिक बदलते रहते हैं. स्पेन की कुल जनसंख्या करीब चार करोड़ 60 लाख है जिसमें से एक लाख बेरोजगार हैं. जर्मनी के करीब आठ करोड़ 20 लाख लोगों में केवल 3,50,000 बेरोजगार हैं, यानी हर 20वां व्यक्ति.

आंकड़ों में छिपी परेशानी

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापार कर रही कंपनियों के लिए यह आंकड़े बड़ी समस्या हैं. कई कंपनियों ने आर्थिक मुश्किल में फंसे युवाओं को बचाने का मकसद अपना लिया है. जर्मनी में नेस्ले के प्रमुख आलेक्सांडर आंतोनोफ कहते हैं, "नेस्ले अपनी कंपनी और ब्रैंड्स के साथ यूरोप के हर देश में हाजिर है और इसलिए हमने सोचा कि हम उद्योग और व्यापार जगत को क्या योगदान दे सकते हैं ताकि युवा बेरोजगारी को खत्म किया जा सके." साथ ही ये कंपनियां अपने देशों में भी कर्मचारियों की कमी को पूरा करना चाहती हैं.

Großkundgebung gegen Jobverlust in der Bretagne
तस्वीर: AFP/Getty Images

समाजशास्त्री हिल्मार श्नाइडर का मानना है कि इस तरह के अभियानों का जन्म सामाजिक बदलाव से होता है, "यह चीजें तब होती हैं जब आपको पता चलता है कि आपके अपने देश में प्रशिक्षित लोगों की कमी है." जर्मनी की कंपनियां विदेशों से कर्मचारी लाती हैं लेकिन इन्हें लाने में बड़ी परेशानी होती है. पहले तो उनका स्तर अच्छा होना चाहिए और फिर उन्हें भाषा भी आनी चाहिए. लेकिन अगर प्रशिक्षित कर्मचारियों की कमी होती है तो कंपनियां खुद प्रशिक्षण भी देती हैं.

ट्रेनी से कर्मचारी तक

नेस्ले ने दक्षिण यूरोपीय ट्रेनीज के लिए दो कार्यक्रम शुरू किए हैं. दोनों तीन साल के कार्यक्रम हैं. एक कार्यक्रम में ट्रेनी एक साल के लिए जर्मनी आते हैं जबकि दूसरी योजना के तहत पुर्तगाल से युवा छह छह महीनों के लिए जर्मन कंपनियों में काम करते हैं. 2014 से इनके लिए कंपनी में नौकरी की जगह भी बनेगी. करीब 20,000 ऐसे ट्रेनी कंपनी में रहते हुए काम सीखते हैं. नेस्ले के लिए भी यह फायदेमंद है. कंपनी 25 साल से कम उम्र के कर्मचारियों को अपने खास काम के लिए प्रशिक्षित करती है और उसे प्रतिभाशाली कर्मचारी मिलते हैं.

25 साल के कर्मचारियों के पास कुछ ऐसी खास प्रतिभाएं हैं जो जर्मन कंपनियों को बेहद पसंद हैं. समाजशास्त्री श्नाइडर कहते हैं, "अलग संस्कृति के लोग परेशानी को अलग तरह से देखते हैं और उसे हल भी अलग तरह से करते हैं. यह एक नई सोच है. मतलब, जर्मन अपने विदेशी सहकर्मियों से कुछ सीख सकते हैं." युवा कर्मचारियों के साथ साथ सांस्कृतिक विविधता अब कंपनियों में नया ट्रेंड बन रही है.

रिपोर्टः योहाना श्मेलर/एमजी

संपादनः महेश झा

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