रॉकेट लॉन्च करेगा ये विशाल विमान
छह जेट इंजन और एक फुटबॉल फील्ड के बराबर चौड़े डैने. दुनिया का सबसे बड़ा विमान, एविशन हिस्ट्री के एक अनोखे अभियान को अंजाम देने के लिए तैयार है.
विशालकाय मशीनी परिंदा
विमान के पंख एक फुटबॉल मैदान की लंबाई के बराबर फैले हैं. विमान में बोइंग 747 के छह जेट इंजन लगाये गये हैं. यह माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापकों में से एक पॉल जी एलन का आविष्कार है. यह विमान हवा से एक स्पेस रॉकेट छोड़ेगा.
सस्ती लॉन्चिंग
विमान का निर्माण 2011 में शुरू हुआ. स्ट्रेटोलॉन्च नाम के विमान का मकसद सैटेलाइट लॉन्च करने के खर्च को कम करना है. फिलहाल बहुत ही भारी रॉकेटों के जरिये उपग्रह छोटे जाते हैं. जमीन से प्रक्षेपण के दौरान मौसम भी अहम भूमिका निभाता है. यह विमान जमीन के बजाए हवा से रॉकेट छोड़ेगा.
लंबी क्रूजिंग रेंज
स्ट्रेटोलॉन्च एक बार में 3,700 किलोमीटर लंबी उड़ान भर सकता है. यह दुनिया के किसी भी हिस्से से रॉकेट छोड़ सकता है. पॉल एलन के मुताबिक स्ट्रेटोलॉन्च लॉन्चिंग में देरी के कारण होने वाले अतिरिक्त खर्चे को कम करेगा.
सस्ती यात्रा
पॉल एलन के मुताबिक सैटेलाइट्स की सस्ती ढुलाई से मझोले कारोबारियों को बड़ी मदद मिलेगी. पृथ्वी की निचली कक्षा में वे अपने कारोबार के अनुकूल किफायती सैटेलाइट स्थापित कर सकेंगे.
आकाश से अंतरिक्ष में
स्ट्रेटोलॉन्च पहले रॉकेट को 9,100 मीटर की ऊंचाई पर ले जाएगा. उस ऊंचाई पर पहुंचने के बाद विमान बिल्कुल नाक के बल ऊपर की तरफ खड़ी उड़ान भरेगा और इसी दौरान रॉकेट लॉन्च किया जाएगा. विमान रॉकेट के साथ 5,90,000 किलोग्राम पेलोड ट्रांसपोर्ट कर सकता है. योजना के मुताबिक 2019 तक सारे टेस्ट पूरे हो जाएंगे.
एक सपना यह भी
सैटेलाइट या रॉकेटों के अलावा स्ट्रेटोलॉन्च एक दिन इंसान को भी अंतरिक्ष की तरफ ले जा सकता है. लेकिन इस विमान को उड़ान भरने और उतरने के लिए 3,500 मीटर लंबे रनवे की जरूरत पड़ेगी.
न पहला, न आखिरी
उड़ता हुआ रॉकेट लॉन्च प्लेटफॉर्म बनाना कोई नया आइडिया नहीं है. अमेरिका ने 1950 और 1960 के दशक में इंसान को ले जाने वाले X-15 रॉकेट बनाए थे. उन्हें B-52 बॉम्बर से लॉन्च किया गया. उसके बाद भी कुछ मौकों पर विमानों के जरिये निचली कक्षा में रॉकेट छोड़े जा चुके हैं. (रिपोर्ट: रिज्की नुग्राहा/ओएसजे)