रेस्तरां भगाएगा सांप का डर
२० मार्च २०१४वियतनाम के हनोई शहर के बीचोबीच भीड़भाड़ वाले इलाके में एक आम सा रेस्तरां है, पेट कैफे. लेकिन एक चीज जो इस साधारण से दिखने वाला रेस्तरां को औरों से अलग करती है वह है इसकी बाहरी दीवार की खिड़कियों से झांकते बड़ी छिपकलियों जैसे दिखने वाले गोह और सांप. अंदर जाने पर नजारा और भी अलग दिखता है.
2010 में खुला यह पेट कैफे अपनी तरह का अनोखा रेस्तरां है. काउंटर के दोनों तरफ शीशे के बड़े जारों में कई तरह की छिपकलियां, सांप, काफी बड़ी विषैली मकड़ी और साही रखी हुई है. यहां आने वाले लोग छोटे बांस के टेबल लेकर बैठते हैं और अपने चारों ओर लगी जिंदा जानवरों की प्रदर्शनी का आनंद लेते हैं.
रेस्तरां मालिक 31 साल के गूयेन मिन्ह निया कहते हैं कि उनका मकसद है कि लोग रेंगने वाले जानवरों के आसपास आराम से रहना सीखें. वे कहते हैं, "जब ग्राहक दुकान पर आते हैं तो वह आम तौर पर डरे हुए होते हैं. लेकिन सांप और छिपकलियों के साथ खेलने के बाद, वे काफी निश्चिंत हो जाते हैं."
एक बड़े से अजगर के पिंजरे के पास बैठकर चाय की चुस्कियां लेता एक छात्र कहता है, "मेरे एक दोस्त ने फेसबुक पर एक फोटो डाली थी जिसमें वह किसी कैफे में सांपों के बीच बैठा था. इसीलिए मैं खुद यहां आना और देखना चाहता था."
रेस्तरां में मौजूद एक दूसरी महिला बताती है, "मैं सांपों से नहीं डरती हूं लेकिन मेरे कुछ दोस्त जरूर डरते हैं. लेकिन हां, मैं मकड़ियों को हाथ नहीं लगा सकती, वे मुझे बहुत बुरे लगते हैं."
पेट कैफे में अभी करीब 30 जानवर हैं. रेस्तरां मालिक के घर पर 10 और जीव हैं. आठ साल की उम्र से ही अपने अमेरिकी दोस्तों की देखादेखी उसने जानवरों को पालतू बनाना शुरू किया. इंटरनेट से जानकारी लेकर उसने इन सभी जानवरों को पालने के तरीके सीखे और खुद उन्हें पाला. ज्यादातर जानवर उसने थाइलैंड से खरीदे हैं.
वियतनाम में माना जाता है कि सांपों और छिपकलियों में औषधीय गुण होते है इसलिए उनका इस्तेमाल टॉनिक वाइन बनाने में किया जाता है. इसके अलावा कुछ खास तरह के रेस्तरांओं में सांप को बड़े चाव से खाया भी जाता है. नीया कहते हैं, "मैं अपने दोस्तों को सांप का मांस या उससे बना वाइन पीने से मना करता हूं. अगर वो देख सकेंगे कि सांप कितने अच्छे जानवर होते हैं तो वे उन्हें खाएंगे नहीं."
इन जानवरों को पालना आसान नहीं है और इसमें खर्चा भी काफी होता है. खाने पीने की चीजों से अलावा भी बहुत सी बातों का ध्यान रखना पड़ता है. सांपों और कई दूसरे सरीसृपों को ऐसे लैंपों की रोशनी में रखना होता है जो सूरज की रोशनी जैसी लगती है. नीया बताते हैं कि गिरगिट को पालना सबसे मुश्किल है क्योंकि उसे पूरे साल बिल्कुल 25 डिग्री सेल्सियस तापमान पर ही रखना होता है. हनोई में जाड़ों के दिनों में यह बहुत बड़ी चुनौती साबित होता है.
इन जानवरों की देखभाल पर हर महीने नीया करीब 350 अमेरिकी डॉलर खर्च करते हैं. यही वजह है कि रेस्तरां से अब तक उन्हें फायदा नहीं हुआ है. लेकिन इस बात का नीया को कोई मलाल नहीं. वे कहते हैं, "मेरी रोजी रोटी तो अपनी कुछ संपत्ति किराए पर देने से चलती है, इस कैफे से नहीं." वैसे उनका ये शौक पैसों से काफी बड़ा हैं.
आरआर/एमजे(डीपीए)