रेप और छेड़खानी के आरोपों के घेरे में ग्रीनपीस
१६ जून २०१५पर्यावरण संगठन ग्रीनपीस की एक पूर्व कर्मचारी ने पिछले हफ्ते एक वेबफोरम में आरोप लगाया था कि संस्था के अंदर यौन दुर्व्यवहार और बलात्कार के बाद उन्होंने 2013 में नौकरी छोड़ दी थी. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार पूर्व कर्मचारी के अनुसार शुरुआत एनजीओ के बंगलुरू दफ्तर में नौकरी शुरू करने के एक साल बाद हुई. पहली घटना में एक वरिष्ठ सहकर्मी ने उसे होटल का कमरा छोड़कर अपने सुइट में सोने पर जोर दिया. दूसरे मामले में उसी वरिष्ठ सहयोगी ने उसे जबरदस्ती बर्थडे केक खिलाने पर जोर दिया. महिला का कहना है कि उसकी शिकायत पर उसे कोई जवाब नहीं मिला. 2013 में एक पार्टी के बाद एक अन्य सहकर्मी ने कथित रूप से महिला का बेहोशी की अवस्था में बलात्कार किया. लेकिन पिछली शिकायत पर कोई कार्रवाई ना होने के कारण, इस बार महिला ने चुप रहने का फैसला किया और कुछ महीनों बाद नौकरी छोड़ दी.
ग्रीनपीस की पूर्व कर्मचारी का कहना है कि उसने इस साल फरवरी में एक फेसबुक पोस्ट के जरिए अपनी कहानी कहने का फैसला किया. इसके तुरंत बाद ग्रीनपीस ने अपनी फेसबुक साइट पर एक माफीनामा जारी किया और मामले की फिर से जांच कराने की बात कही. इस मामले में 2013 में लापरवाही बरते जाने की बात स्वीकार करते हुए ग्रीनपीस ने कहा, "पीड़ित को माफी मांगे जाने और जो कुछ हुआ है उसकी गहन जांच का हक है."
इस मामले के सामने आने के बाद कुछ और पूर्व कर्मचारियों ने ग्रीनपीस पर आरोप लगाए हैं. एक पूर्व सीनियर मैनेजर और आंतरिक शिकायत समिति की सदस्य रीमा गांगुली ने आरोप लगाया है कि छेड़खानी करने वाले कर्मचारी को नौकरी से निकाले जाने की सिफारिश कार्यकारी डाइरेक्टर समित आइश ने रद्द कर दी और समिति को ही भंग कर दिया. आइश का कहना है कि समिति की सिफारिश के दफ्तर में लीक हो जाने के बाद उन्होंने कानूनी सलाह ली और उन्हें बताया गया कि लीक हुआ फैसला अवैध है. उसके बाद उन्होंने समिति का पुनर्गठन किया. आइश ने पुरानी प्रक्रिया में खामियों की बात स्वीकार की है और भविष्य में अनुशासनात्मक कार्रवाई को सख्त बनाने का वायदा किया है.
ग्रीनपीस ने अपने बयान में कहा है, "ग्रीनपीस ने एक सहकर्मी के साथ छेड़छाड़ पर जिस तरह से प्रतिक्रिया दिखाई, उसके लिए बेशर्त क्षमायाचना मांगता है. हमने उनकी और दूसरों की शिकायतों के साथ न्याय नहीं किया. हमें भविष्य में इन कामियों को दूर करने की उम्मीद है." पर्यावरण संस्था ने कहा है कि कथित बलात्कार का मामला अलग मामला है जिसके बारे में संस्था को फरवरी 2015 तक पता नहीं था. ग्रीनपीस ने आरोपों पर चिंता जताई है और पुलिस जांच का समर्थन किया है.
एमजे/आईबी (पीटीआई)