रिश्तों में जमी बर्फ पिघलाने के लिए नेतन्याहू ओबामा से मिलेंगे
६ जुलाई २०१०नेतन्याहू से पिछली मुलाकात में ओबामा ने अपने हाथ बांधे रखे, कहा जा रहा था कि अमेरिकी राष्ट्रपति इस्राएल की नीतियों से असहमत हैं. लेकिन आज ये उम्मीद की जा रही है कि इस्राएली प्रधानमत्री से मुलाकात में राष्ट्रपति अपने हाथ ही नहीं दिल भी खोल कर रख सकते हैं. हालांकि दोनों की मुलाकात से तुरंत किसी बड़े नतीजे की उम्मीद नहीं की जा रही लेकिन फिर भी अमेरिका के अपने पुराने रणनीतिक दोस्त से बातचीत के बड़े मायने हैं. ये मुलाकात एक महीने पहले ही होने वाली थी लेकिन गज़ा में सहायता ले जा रहे जहाज़ पर इस्राएली हमले के बाद इसे टाल दिया गया. आज की मुलाकात ये भी बता देगी कि ओबामा ने इस घटना के बाद आए रिश्तों में तनाव को भुलाया है या नहीं. साथ ही ये भी कि इस्राएल और फलीस्तीन के बीच रुकी हुई शांतिवार्ता को शुरू करवाने में अमेरिका कदम बढ़ाएगा या नहीं.
इतना तो तय है कि ओबामा इस्राएल के साथ रिश्तों में आई तल्खी को और नहीं बढ़ाना चाहेंगे. इसकी वजह है नवंबर में होने वाले अमेरिकी कांग्रेस के चुनाव. ये बात किसीसे से छुपी नहीं कि अमेरिकी जनता और सांसद इस्राएल के मुद्दे पर किस तरह से लामबंद हो जाते है. इस मुलाकात की हर छोटी बड़ी बात का ओबामा के सहयोगियों ने ख़ास ख्याल रखा है. उन्हें पता है कि ओबामा और नेतन्याहू की मुलाक़ात में चेहरे के हर भाव पर मीडिया की नजर होगी इसलिए मुलाकात के आखिरी हिस्से में ही पत्रकारों और फोटोग्राफरों उन तक पहुंच पाएंगे. इसके बाद दोनों नेता व्हाइट हाउस में दोपहर के खाने के लिए जाएंगे. पिछली मुलाकात में ओबामा ने ना तो नेतन्याहू के साथ फोटो खिंचवाई ना ही उन्हें व्हाइट हाउस में भोजन परोसा गया.
दोनों देशों के बीच रिश्तों में मिठास की शुरूआत के लिए ओबामा ने अपनी जबान में नरमी दिखाई. उधर नेतन्याहू ने भी गज़ा की नाकेबंदी में ढील जैसे कुछ सुधारवादी कदम उठाए. इसके साथ ही दोनों मुल्क ईरान पर प्रतिबंध के मसले पर भी एक साथ है. ये सारे मुद्दे मंगलवार को होने वाली बातचीत का हिस्सा होंगे. इसके साथ ही आज नेतन्याहू ओबामा को भरोसा दिलाएंगे कि वो फिलीस्तीनी हिस्से के साथ बातचीत करने के लिए तैयार हैं. इस बात के संकेत पिछले हफ्ते ही नेतन्याहू ने दे दिए थे. फिलीस्तीनी नेता अभी भी इस मुलाकात से बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं लगा रहे हैं. मसला ये है कि क्या नेतन्याहू पश्चिमी तट पर इस्राएली बस्तियों को बनाने से लगी रोक को आगे बढ़ाने पर रजामंद होंगे. अगर नेतन्याहू ऐसा करने के लिए तैयार हो जाते हैं तो उन्हें घरेलू मोर्चे पर विरोध झेलना होगा क्योंकि गठबंधन सरकार में इस मुद्दे पर सहमति नहीं है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ एन रंजन
संपादनः आभा मोंढे