रिंग में अली के ऐतिहासिक लम्हे
मुहम्मद अली कई मायनों में ऐतिहासिक हैं. बॉक्सिंग के जरिये उन्होंने साबित कर दिया कि खेल एक खास समुदाय की जागीर नहीं है. देखिये रिंग में मुहम्मद अली के ऐतिहासिक लम्हे.
ओलंपिक चैंपियन
मुहम्मद अली का असली नाम कासियस क्ले था. 18 साल की उम्र में क्ले (सबसे लंबे) ने रोम ओलंपिक में लाइटहैवीवेट बॉक्सिंग में गोल्ड मेडल जीता. उसी साल क्ले प्रोफेशनल बॉक्सिंग में उतर गया.
द ग्रेटेस्ट
पहला हैवीवेट खिताब जीतने के बाद क्ले ने रिंग का चक्कर लगाते हुए जोर से कहा, "आय ऐम द ग्रेटेस्ट" यानी "मैं महानतम हूं." इस पर किसी ने ऐतराज नहीं किया, इस तरह उन्होंने अपना नाम चुना.
पहले दौर में नॉक आउट
अपने पहले हैवीवेट खिताब को बचाने के लिए क्ले का सामना उम्र में बड़े लिस्टन से हुआ. दो मिनट के भीतर उन्होंने लिस्टन को चित कर दिया और आवाज दी, "चलो उठो." थोड़ी देर बाद मुकाबला रोक दिया गया और क्ले विजेता घोषित हुए.
क्ले से अली
1964 का मुकाबला बड़ी चर्चा में रहा. सोनी लिस्टन पहले ही दावा कर चुके थे कि वह क्ले को हरा देंगे. लेकिन ऐसा न हो सका. क्ले की जीत हुई. उसी साल क्ले ने इस्लाम कबूल कर लिया और अपने लिए मुहम्मद अली नाम चुना.
सबसे कड़ा मुकाबला
1966 में अली का सामना पश्चिमी जर्मनी के मुक्केबाज कार्ल मिल्डेनबेर्गर से हुआ. फ्रैंकफर्ट में हुए उस मुकाबले में अली अपना छठा वर्ल्ड चैंपियन खिताब बचाने उतरे थे. 12वें राउंड में मिल्डेनबेर्गर की आंख में कट लग गया जिसके बाद रेफरी ने अली को विजेता घोषित किया. अली के मुताबिक वह उनके जीवन का सबसे कड़ा मुकाबला था. .
फाइट ऑफ द सेंचुरी में हार
अली को पेशेवर मुक्केबाजी में पहली बार हार 1971 में देखनी पड़ी. न्यूयॉर्क में उन्हें जो फ्रेजर ने हराया. फ्रेजर ने 15वें राउंड में अली को चित कर दिया. दोनों बॉक्सरों को तब रिकॉर्ड 25 लाख डॉलर मिले. इतनी बड़ी रकम के चलते इसे फाइट ऑफ द सेंचुरी कहा गया.
जबानी पंच
1974 में अली का सामना चैंपियन जॉर्ज फोरमैन से हुआ. फोरमैन को आज भी सबसे कड़ा पंच मारने वाले मुक्केबाजों में गिना जाता है. उस मुकाबले के दौरान फोरमैन जहां पंच बरसा रहे थे वहीं अली जुबानी हमले कर उन्हें और उकसा रहे थे.
आठवें राउंड में नॉक आउट
सातवें राउंड तक जुमलेबाजी के बाद अली अचानक एक्शन में आए. उन्होंने फोरमैन पर बिजली की रफ्तार से कुछ पंच मारे और मुकाबला खत्म हो गया. अली को अपना खिताब वापस मिला. अब तक सिर्फ दो ही मुक्केबाज हुए हैं जो हैवीवेट टाइटल वापस पा सके हैं.
थ्रिला इन मनीला
1975 में फिलीपींस की राजधानी मनीला में अली का सामना एक बार फिर फ्रेजर से हुआ. मुकाबले को "थ्रिला इन मनीला" नाम दिया गया. इसे बॉक्सिंग का महानतम मुकाबला कहा जाता है. 14वें राउंड में रेफरी ने फाइट रोक दी क्योंकि फ्रेजर की आंखें इतनी ज्यादा सूज चुकी थी कि वह अपना बचाव नहीं कर पा रहे थे. अली विजेता घोषित हुए.
अनोखी लड़ाई
बॉक्सर और कराटे चैंपियन के मुकाबले में कौन जीतेगा. दुनिया भर में ऐसे सवाल पूछे जा रहे थे. 1976 में इनका जवाब देने के लिए अली जापानी रेस्लर एंटोनियो इनोकी के सामने उतरे. इनोकी ज्यादातर समय रिंग में लेटे रहे. वह अली के पैरों पर किक मारना चाहते थे, वहीं अली को बार बार नीचे झुकने का तरीका खोजना पड़ रहा था. 15 राउंड के बाद मुकाबला ड्रॉ रहा.
हार और जीत
1978 में अली ने लियोन स्पिंक्स को गंभीरता से नहीं लिया. अली का वजन भी काफी बढ़ चुका था, वह बहुत अच्छी ट्रेनिंग भी नहीं कर रहे थे. स्पिंक्स ने इसका फायदा उठाया और अली को हराकर हैवीवेट खिताब अपने नाम कर लिया. लेकिन उसी साल दोनों के बीच फिर मुकाबला हुआ जिसमें अली ने जीत हासिल की और अपना खिताब वापस पाया. इसके बाद अली ने पेशेवर बॉक्सिंग से संन्यास ले लिया.
रिंग के बाहर दोस्ती
संन्यास लेने के बाद अली और उनके सबसे कड़े प्रतिद्ंवद्वी जो फ्रेजर और जॉर्ज फोरमैन जबरदस्त दोस्त बने. चार दशकों की दोस्ती के बाद फ्रेजर और अली दुनिया को अलविदा कह चुके हैं.