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राष्ट्रीय संपत्ति की लूट है विदेश में रखा काला धन

२० जनवरी २०११

विदेशी बैंकों में काला धन छिपा कर रखने वाले लोगों के नाम सार्वजनिक करने में आनाकानी करने पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की खिंचाई की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि काले धन का मसला टैक्स चोरी का नहीं बल्कि देश को लूटने का है.

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तस्वीर: DW

काले धन के मुद्दे पर यूपीए सरकार की मुश्किलें और बढ़ गई हैं. जर्मनी से केंद्र सरकार को लिष्टेनश्टाइन में बैंक खाता रखने वाले ऐसे भारतीयों की लिस्ट मिली है जिन्होंने अपना काला धन बैंकों में रखा है. लेकिन केंद्र सरकार लिस्ट मिलने के बावजूद उसे जारी नहीं कर रही है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर अनिच्छुक नजर आ रही सरकार को फटकार लगाई है.

Oberstes Gericht in Indien
सख्त हुआ सुप्रीम कोर्टतस्वीर: Wikipedia/LegalEagle

सुप्रीम कोर्ट नाराज

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि काला धन सिर्फ टैक्स चोरी का मामला नहीं है बल्कि यह स्तब्ध कर देने वाला अपराध है. देश की संपत्ति को लूटा जा रहा है और राष्ट्रीय सुरक्षा से भी यह मसला जुड़ता है. यह सीधे तौर पर देश की कमाई को चोरी किए जाने का मामला है. जब केंद्र सरकार ने दलील दी कि यह टैक्स चोरी का केस है और भारतीय खाताधारकों के नाम सरकार जारी नहीं कर सकती तो सुप्रीम कोर्ट बेंच ने कहा, "हम झकझोर कर रख देने वाले अपराध की बात कर रहे हैं. हम टैक्स संधियों के बारे में बात नहीं कर रहे."

कोर्ट ने साफ कर दिया है कि काले धन के मुद्दे पर सरकार के रुख से वह खुश नहीं है. बेंच ने कहा, "यह स्थिति हमें परेशान कर रही है. यह सिर्फ टैक्स चोरी से जुड़ी बात नहीं हैं. इसके कई और आयाम हैं." सुप्रीम कोर्ट को आशंका है कि काले धन के तार नशीली दवाओं की तस्करी, आतंकवाद और गैरकानूनी हथियारों की खरीद फरोख्त से जुड़ी हो सकते हैं. पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एमके नारायणन भी यह आशंका जता चुके हैं कि टैक्स चोरों के लिए मुफीद माने जाने वाले देशों में रखे पैसे से आतंकियों को मदद दी जा रही है.

देना होगा जवाब

मशहूर वकील राम जेठमलानी ने पूर्व नौकरशाहों और पुलिस अधिकारियों के साथ कोर्ट में याचिका दायर की है और सुप्रीम कोर्ट से काले धन के मुद्दे पर दखल देने को कहा है. विदेशी बैंकों में भारतीयों के अरबों डॉलर काले धन के रूप में जमा है. सुप्रीम कोर्ट के सामने सीलबंद लिस्ट रखी गई है और उसमें 26 भारतीयों के नाम है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि इस मुद्दे पर वित्त सचिव को जवाब देना होगा. सरकार के जवाब में गंभीरता की कमी झलक रही है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: वी कुमार

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