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"मैर्केल की चांसलरी के अंत की शुरुआत"

आरपी/ओएसजे (डीपीए)५ सितम्बर २०१६

जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने अपने गृह राज्य में अपनी पार्टी सीडीयू को मिली हार की जिम्मेदारी लेते हुए भी शरणार्थी संकट पर लिए अपने फैसलों को सही ठहराया.

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China G20 Gipfel in Hangzhou Kanzlerin Merkel
तस्वीर: Reuters/N. Asfonri

जर्मनी के मैक्लेनबुर्ग फोरपोमर्न राज्य चुनाव में करीब 20.8 प्रतिशत वोटों के साथ दक्षिणपंथी पार्टी अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) चांसलर मैर्केल की सीडीयू को पीछे कर राज्य की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई है. आतंकवाद और शरणार्थियों के जर्मनी में समेकन की समस्या पर जारी राष्ट्रीय बहस के कारण इन राज्य चुनावों में किसी भी स्थानीय मुद्दे को महत्व नहीं मिला. चीन में जारी जी20 सम्मेलन के दौरान सोमवार को इन चुनावी नतीजों पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए मैर्केल ने कहा कि "जाहिर है कि शरणार्थी नीति से इसका कुछ तो लेना देना है, इसलिए मैं इसकी जिम्मेदार हूं." हालांकि वे इस बात पर कायम रही कि इस पर हाल के महीनों में लिए गए फैसले उनके हिसाब से सही थे.

Deutschland Berlin Generalsekretär der CDU, Peter Tauber nach Landtagswahl
क्रिस्चियन डेमोक्रैट्स (सीडीयू) पार्टी के महासचिव पेटर टाउबरतस्वीर: picture-alliance/dpa/G. Fischer

क्रिस्चियन डेमोक्रैट्स (सीडीयू) पार्टी के महासचिव पेटर टाउबर ने भी नतीजों के बाद पार्टी की शरणार्थी नीति पर मैर्केल सरकार के कदमों का जिक्र करते हुए बताया कि रिफ्यूजियों के आगमन को कम करने, केवल 2015 में ही पहुंचे करीब 11 लाख लोगों के जर्मन समाज में समेकन के लिए और देश में सुरक्षा बहाल करने के लिए बहुत सारे कदम उठाए गए हैं. टाउबर ने कहा, "ऐसे प्रयासों का असर दिखने और खोये हुए विश्वास को जीतने में समय लगता है."

मैक्लेनबुर्ग फोरपोमर्न राज्य में एएफडी के प्रमुख लाइफ-एरिक होल्म ने कहा कि इन चुनावों के नतीजों को सरकार को एक चेतावनी के तौर पर लेना चाहिए और शरणार्थियों के लिए द्वार खोलने की अपनी नीति पर पुनर्विचार करना चाहिए. इन चुनावी नतीजों को उन्होंने "अंगेला मैर्केल की चांसलरी के अंत की शुरुआत का दिन" बताया.

सीडीयू को इस पूर्वोत्तर राज्य में 19 फीसदी वोट मिले जबकि सेंटर-लेफ्ट पार्टी एसपीडी को 30.6 फीसदी. राज्य के प्रमुख एसपीडी नेता एरविन जेलरिंग ने कहा कि उनके राज्य को 1990 में जर्मन एकीकरण के समय से जो कुछ अर्जित किया है उस पर गर्व होना चाहिए. और यह विश्वास जताया कि मतदाता "एएफडी को वो सब कुछ बर्बाद नहीं करने देंगे."

जर्मनी में अभूतपूर्व शरणार्थी संकट के कारण लोगों में व्याप्त असंतोष का एएफडी को फायदा हुआ है. इस पार्टी के यूरोविरोधी और शरणार्थी विरोधी नारों ने असर दिखाया है और राष्ट्रीय ओपिनियन पोल्स में इसे देश की तीसरे नंबर की पार्टी बना दिया है. ऐसे ही चलता रहा तो एएफडी अगले साल होने वाले आम चुनावों के बाद संसद बुंडेसटाग में भी शामिल हो सकती है. यूरोप के अन्य देशों जैसे इटली और फ्रांस की दक्षिणपंथी विचारधारा वाली पार्टियों ने भी एएफडी की चुनावी सफलता पर हर्ष जताते हुए इस "शानदार जीत को मैर्केल के मुंह पर तमाचा" बताया है.

Statement Chancellor Merkel on election setback