राजेश रोशन लाए अमिताभ को गायकी में
२४ मई २०१४आज राजेश रोशन अपना 59वां जन्मदिन मना रहे हैं. राजेश रोशन ने जीवन में पहचान भले संगीतकार के रूप में पाई हो, लेकिन शुरुआत से ही उनकी इच्छा सरकारी नौकरी करने की थी. उनके पिता रोशन फिल्म जगत के नामी संगीतकार थे. घर में संगीत का माहौल होने के बावजूद उनकी संगीत में कोई रूचि नहीं थी. उनका मानना था संगीतकार बनने से अच्छा है कि 10 से 5 बजे तक की सरकारी नौकरी की जाए जिससे उनका जीवन सुरक्षित रहेगा.
कैसे बने संगीतकार
राजेश रोशन के पिता की मृत्यु के बाद उनकी मां संगीतकार फैयाज अहमद खान से संगीत की शिक्षा लेने लगीं. उनके साथ वह भी वहां जाया करते थे. धीरे धीरे उनकी दिलचस्पी भी संगीत में हो गई और वह भी फैयाज खान से संगीत की शिक्षा लेने लगे.
सत्तर के दशक में राजेश रोशन संगीतकार लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के सहायक के तौर पर काम करने लगे. उन्होंने लगभग पांच साल तक उनके साथ काम किया. राजेश रोशन ने संगीतकार के रुप में अपने सिने करियर की शुरूआत 1974 में महमूद की फिल्म 'कुंवारा बाप' से की, लेकिन कमजोर पटकथा के कारण फिल्म टिकट खिड़की पर बुरी तरह पिट गई.
अमिताभ का पहला गीत
राजेश रोशन की किस्मत का सितारा 1975 में दिखाई फिल्म 'जूली' से चमका. इस फिल्म में 'दिल क्या करे जब किसी को', 'माई हार्ट इज बीटिंग', 'ये रातें नई पुरानी' और 'जूली आई लव यू' जैसे गाने श्रोताओं के बीच काफी लोकप्रिय हुए. इस फिल्म और संगीत की सफलता के बाद बतौर संगीतकार वह काफी हद तक अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गए.
लगभग चार वर्ष तक मायानगरी मुंबई में संघर्ष करने के बाद राजेश रोशन को 1979 में अमिताभ बच्चन की फिल्म 'मिस्टर नटवरलाल' में संगीत देने का मौका मिला. इस फिल्म में उनका गीत 'परदेसिया ये सच है पिया' काफी पसंद किया गया. इस फिल्म के संगीत की सफलता के बाद राजेश रोशन का सितारा गर्दिश से बाहर आ गया.
मिस्टर नटवरलाल राजेश रोशन के साथ ही सुपर स्टार अमिताभ बच्चन के सिने करियर के लिए भी महत्वूपूर्ण फिल्म साबित हुई. इस फिल्म से पहले अमिताभ बच्चन ने फिल्मों के लिए कोई गीत नहीं गाया था. यह राजेश रोशन ही थे जिन्होंने अमिताभ बच्चन की गायकी पर भरोसा जताते हुए उनसे फिल्म में 'मेरे पास आओ मेरे दोस्तों' गीत गाने की पेशकश की. यह गीत श्रोताओं के बीच आज भी लोकप्रिय है.
राजेश रोशन अब तक दो बार सर्वश्रेष्ठ संगीतकार के फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किए जा चुके हैं. पहली बार 1975 में आई फिल्म 'जूली' के लिए और फिर 2000 में प्रदर्शित फिल्म 'कहो ना प्यार है' के लिए भी उन्हें सर्वश्रेष्ठ संगीतकार का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला. राजेश रोशन लगभग 125 फिल्मों के लिए संगीत निर्देशन कर चुके हैं.
एसएफ/एमजे (वार्ता)