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राख के गुबार से बेबस हुआ यूरोप

१८ अप्रैल २०१०

आइसलैंड के ज्वालामुखी से उड़ी राख ने लगातार तीसरे दिन यूरोप के हवाई यातायात को ठप्प रखा. जर्मनी की हवाई सीमा रविवार दोपहर और फ्रांस की सोमवार सुबह आठ बजे तक बंद रहेगी. राख के लंबे समय वायुमंडल में बने रहने की आशंका.

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करीब करीब सभी उड़ाने रद्दतस्वीर: AP

इस हवाई अफ़रातफ़री के कारण पोलैंड के राष्ट्रपति लेह काचिंस्की के अंतिम संस्कार में कई नेताओं ने अपनी यात्रा रद्द कर दी है. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल रविवार को पोलैंड नहीं पहुंच सकेंगे. वहीं ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स ने भी कहा है कि वे रविवार को पोलिश राष्ट्रपति के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सकेंगे. स्पेन, स्वीडन, यूरोपीय संघ, तुर्की ऑस्ट्रिया, फिनलैंड के राष्ट्राध्यक्षों ने भी अपनी पोलैंड की यात्रा आइसलैंड के ज्वालामुखी से उड़ी राख के कारण रद्द कर दी है.

अमेरिका से जर्मनी लौट रहीं चांसलर अंगेला मैर्केल को अपनी हवाई यात्रा लिस्बन में रोकनी पड़ी, इसके बाद से उत्तरी इटली से होती हुई कार से जर्मनी आएंगी.

शनिवार को दुनिया भर की उड़ाने प्रभावित हुईं क्योंकि आइसलैंड के ज्वालामुखी से अब भी राख निकल रही है. मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि गुबार आगे नहीं बढ़ सकेगा और मंगलवार और बुधवार तक और सघन हो सकता है जिस कारण हवाई यातायात में आगे भी बाधा आ सकती है.

उड़ानों के बंद रहने के कारण हवाई कंपनियों को रोज़ाना बीस करोड़ डॉलर का नुकसान हो रहा है. यह अफ़रातफ़री न्यूयॉर्क में हुए हवाई हमलों से भी ज़्यादा है. 11 सितंबर 2001 के बाद अमेरिकी हवाई सीमा को तीन दिन बंद रखा गया था और यूरोपीय एयरलाइन्स से सभी ट्रांस अटलांटिक उड़ानों को बंद करने का निर्देश दिया गया था.

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वायुमंडल में 11 किलोमीटर ऊपर तक पहुंची राखतस्वीर: AP

शनिवार दोपहर मौसम विशेषज्ञों ने जानकारी दी कि ज्वालामुखी से उड़ी राख का असर कम से कम 24 घंटे और रहेगा. अधिकारियों का कहना है, "वैसे तो लग रहा था कि शनिवार को ही इस राख का प्रभाव थोड़ा कम होगा लेकिन अब लगता है कि इसका असर आने वाले कुछ दिनों और संभवतः महीनों तक रहेगा." अमेरिका की मौसम की भविष्यवाणी करने वाली कंपनी एक्युवेदर का कहना है कि "राख कम हवा वाले इलाके में है और इसी कारण शायद सोमवार तक भी यह आगे नहीं बढ़ पाएगी. गुबार मंगलवार, बुधवार को और सघन हो सकता है और उड़ानों के लिए बड़ा ख़तरा बना रहेगा. हालांकि बहुत संभव है कि इसका क्षेत्र कम हो जाए और यह कम हिस्से को प्रभावित करे."

ब्रिटेन की मौसम एजेंसी का कहना है कि "राख एक बार उड़ने के बाद कई दिनों तक बनी रहती है. इसलिए हवा की दिशा बदलने की ज़रूरत है. लेकिन निकट भविष्य में इसके कोई आसार नहीं हैं."

इधर भारत से यूरोप आने वाली सभी उड़ाने रद्द कर दी गई हैं. पेइचिंग, सिंगापुर से आने वाली कई उड़ाने शनिवार को रद्द की गईं. वहीं ट्रांसअटलांटिक उड़ानों की संख्या भी एक तिहाई रही.

बुधवार को इस महीने में दूसरी बार आइसलैंड के आयाफ़्यालायोकूल से लावा निकलना शुरू हुआ था. इससे उड़ी राख इस बार वायुमंडल में 6 से 11 किलोमीटर ऊपर चली गई. भूगर्भशास्त्री बैर्गथोरा थ्योर्ब्यार्नादोतिर का कहना है, "ज्वालामुखी से आगे भी इस तरह लावा निकल सकता है. हर ज्वालामुखी अलग होता है और हमें इस ज्वालामुखी का अनुभव नहीं है क्योंकि इससे पहले ये 200 साल पहले फूटा था."

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा मोंढे

संपादनः ओ सिंह