रहस्यमय रसायन से चिंता
२२ अगस्त २०१४ओजोन परत को सुरक्षित करने के लिए दुनिया भर के देशों ने वियना संधि के तहत कार्बन टेट्राक्लोराइड या सीसी 14 के इस्तेमाल पर रोक पर सहमति दी थी और 2009 में मॉन्ट्रियाल प्रोटोकॉल को विश्वभर में समर्थन मिला. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने एक बयान में कहा, "मॉन्ट्रियाल प्रोटोकॉल में शामिल धड़ों ने सूचना दी कि 2007-2012 के बीच सीसी 14 का बिलकुल उत्सर्जन नहीं हुआ."
हालांकि नया शोध बताता है कि दुनिया भर में सीसी 14 का उत्सर्जन प्रतिवर्ष औसतन 39 किलोटन है. अंतरराष्ट्रीय संधि लागू होने से पहले इस खतरनाक केमिकल का जितना उत्सर्जन होता था, उसकी तुलना में यह 30 फीसदी है. सीसी 14 का स्तर वैसे तो इतना नहीं है कि वह ओजोन को और कमजोर कर सके, लेकिन जानकार अब भी हैरान है कि वह कहां से आ रहा है. सीसी 14 का नया उत्सर्जन नहीं होने की सूरत में कंपाउंड को वायुमंडल में 2007 से चार फीसदी प्रति वर्ष की दर से घट जाना चाहिए था. हालांकि धरती से निगरानी करने पर यह पता चला कि वह सिर्फ एक फीसदी प्रति वर्ष की दर से घट रहा है.
नासा के वायुमंडलीय वैज्ञानिक किंग लियांग कहते हैं, "हम यह देखने की उम्मीद नहीं कर रहे थे. अब साफ है कि या तो अज्ञात औद्योगिक लीकेज, विशाल दूषित साइटों या फिर अज्ञात स्रोतों से सीसी 14 का उत्सर्जन हो रहा है."
शोधकर्ताओं ने साल 2000 से 2012 के बीच सीसी 14 के उत्सर्जन औसत का पता लगाने के लिए नासा के 3डी जिओस केमिस्ट्री क्लाइमेट मॉडल का इस्तेमाल किया और धरती से होने वाली जांच का डेटा उपयोग में लाया. डाटा पर काम करते हुए शोधकर्ताओं ने पाया कि पहले सोचे गए समय की तुलना में रसायन 40 फीसदी ज्यादा देर वायुमंडल में रहता है. नासा में वायुमंडल के लिए मुख्य वैज्ञानिक पॉल न्यूमैन के मुताबिक, "लोगों को लगता है कि मॉन्ट्रियाल प्रोटोकॉल के तहत ओजोन परत को खत्म करने वाले उत्सर्जन बंद हो गए हैं, दुर्भाग्य से दुनिया भर में सीसी 14 का प्रमुख स्रोत मौजूद है."
एए/एएम (एएफपी)