रंग बिरंगा पतझड़
तापमान भले ही गिर रहा हो,दिन छोटे हो रहे हों लेकिन जर्मनी में फिलहाल पतझड़ बोरिंग नहीं हुआ है. पेड़ सुनहरी पत्तियों से ढंके हुए हैं.
बदलती तासीर
सितंबर के आखिर से पत्तियों का हरा रंग बदलने लगता है. लाल, पीली, भूरी होती पत्तियां जमीन पर रंगों का कालीन बिछा देती हैं. पतझड़ में जर्मनी के बागीचे, जंगल, खेत लाल और सुनहरे रंगों में पट जाते हैं.
ठंड की तैयारी
बड़ी सी पूंछ वाली यह यूरोपीय लाल गिलहरी पतझड़ में अक्सर खाना तलाशती हुई नजर आती है. जैसे जैसे ठंड बढ़ती है, गिलहरी का फर मोटा होता जाता है. ये अपने लिए बीज, मेवे, बेरियां और अन्न के दाने इकट्ठा करती हैं.
बारिश ही बारिश
अचानक ठंड और भारी बारिश पतझड़ की खासियत है. धीमे धीमे कुरकुरी गर्म धूप गुनगुनी हो जाती है. दिन और ठंडे होते हैं जाते हैं. फिर दिन आते हैं मफलर और गर्म कोट के.
वाइन फेस्टिवल
इस मौसम में हर उस गांव में वाइन समारोह होता है, जहां अंगूर के बाग हैं. विनयार्ड में अक्सर वाइन भी बनती है. साथ ही सीजन आता है, वाइन टेस्टिंग का.
ताजगी
फेडरवाइसर नाम की व्हाइट वाइन जर्मनी में सितंबर से अक्टूबर के बीच बनती है. अंगूर के ताजे रस को फर्मेंट करके इसे बनाया जाता है. इसमें कम से कम चार प्रतिशत अल्कोहल होता है.
ठंड के खिलाफ
फेडरवाइसर अक्सर ओनियन केक के साथ परोसी जाती है. ओनियन केक प्याज, बेकन, अंडे, क्रीम और आटे को मिला कर बनाया जाता है. इसे ठंड में काफी पसंद किया जाता है.
मशरूम की तलाश
पतझड़ का मतलब कई परिवारों के लिए बड़े जूते पहन कर जंगलों में कुकुरमुत्ते की तलाश में जाना होता है. जर्मनी में करीब पांच हजार मशरूम की प्रजातियां होती हैं. बेज रंग से भूरे, नारंगी लाल रंग तक. इन्हें बीनने वाले लोगों को जहरीले और खाने लायक मशरूम में फर्क पता होता है.
कद्दू का मौसम
पतझड़ में सबसे ज्यादा मिलने वाला फल है कद्दू. कई शहरों में तो कद्दू महोत्सव होते हैं. जहां सबसे भारी कद्दू उगाने वाले को इनाम दिया जाता है. कद्दू भी 60 70 किलो का नहीं 100 500 किलोग्राम तक भारी हो सकता है.
चुड़ैलों का त्योहार
31 अक्टूबर को रात चुड़ैलों की होती है. इस दिन कद्दुओं को काट कर उसमें दिए जलाए जाते हैं. वैसे तो यह जर्मन परंपरा है लेकिन हॉलीवुड फिल्मों के कारण लगातार लोकप्रिय हुई है. इस दिन लोग चुड़ैल, भूत, जैसे अजीब अजीब से ड्रेस पहन कर पार्टी करते हैं.
सतरंगी लाइटें
जर्मनी में पारंपरिक त्योहार सेंट मार्टिन डे 11 नवंबर को मनाया जाता है. बच्चे सेंट मार्टिन की तरह कपड़े पहन सतरंगी लालटेन लेकर शहर की गलियों से गुजरते हैं. कहानी के मुताबिक सेंट मार्टिन ने भरी ठंड में अपना लाल कोट एक भिखारी को दे दिया था.
रंगों से लबरेज
विनयार्ड में अंगूरों की कटाई का काम शुरू हुआ है. हर साल पतझड़ के इस मौसम में देश रंगों से भरा दिखता है.