रंगभेद विरोधी लेखिका गोर्डेमर का निधन
१५ जुलाई २०१४नेदीन गोर्डेमर के निधन की सूचना देते हुए उनके परिवार ने बताया कि रविवार की रात को सोते हुए उनका देहान्त हो गया. उनका बेटा हूगो और बेटी ओरियाने मृत्यु के समय उनके साथ थे. परिवार द्वारा जारी एक बयान के अनुसार नेदीन गोर्डेमर ने 15 उपन्यास और बहुत सारी लघु कथाएं लिखीं जो कई अंकों में प्रकाशित हुए. उनकी रचनाएं विश्व भर में 40 भाषाओं में छापी गईं. परिवार ने कहा, "उन्होंने गहराई से दक्षिण अफ्रीका, उसकी संस्कृति, उसके लोगों और नए लोकतंत्र के लिए जारी संघर्ष के बारे में लिखा."
नेदीन गोर्डेमर की जिंदगी के गौरव के क्षणों में नोबेल पुरस्कार जीतने के अलावा 1980 के दशक में देशद्रोह का आरोप झेल रहे नस्लवाद विरोधी कार्यकर्ताओं के एक दल की ओर से गवाही देना शामिल है. हालांकि वे मुख्य रूप से लेखिका थीं, श्वेत दक्षिण अफ्रीकी होने के बावजूद वे नस्लवादी शासन के खिलाफ थीं. वे अश्वेत नागरिकों के साथ नस्लवादी शासन के अमानवीय बर्ताव की विरोधी थीं और अपने देश के मुश्किल इतिहास में उन्होंने राजनीतिक भूमिका भी निभाई.
नस्लवादी शासन के दिनों में वे जेल में बंद नेल्सन मंडेला की तारीफ करती थीं, जो बाद में लोकतांत्रिक दक्षिण अफ्रीका के पहले राष्ट्रपति बने. उन्होंने देश के प्रमुख रंगभेद विरोधी आंदोलन अफ्रीकी राष्ट्रीय संगठन एएनसी का श्वेत सरकार के खिलाफ हथियारों के इस्तेमाल का फैसला भी स्वीकार कर लिया था. उन्होंने कहा था, "यहां 65 साल रहने के बाद मुझे पता है कि अश्वेत लोगों ने कितने समय तक हिंसा को अस्वीकार किया है. हम श्वेत लोग इसके लिए जिम्मेदार हैं."
गोर्डिमर ने अपनी रचनाओं के बारे में कहा था कि पंद्रह साल की उम्र में एक साहित्यिक पत्रिका में प्रकाशित उनकी पहली वयस्क रचना अश्वेतों के अपमान को देखने पर एक किशोर की प्रतिक्रिया थी. उन्होंने जोहानिसबर्ग के निकट खान वाले नगर के बारे में, जहां वे पली बढ़ीं, बताया था कि कैसे अश्वेत लोगों को कपड़ा खरीदने के पहले उसे छूने नहीं दिया जाता था. इसी तरह उनके घर में पुलिस ने नौकरानी के क्वार्टर की तलाशी ली थी क्योंकि अश्वेतों को शराब रखने की अनुमति नहीं थी.
नोबेल संगठन को 2006 में दिए गए एक इंटरव्यू में नेदीन गोर्डेमर ने कहा, "उसके बाद मैंने सोचना शुरू किया कि हम कैसे रहते थे और हम उस तरह क्यों रहते थे, और हम कौन थे." उन्होंने कहा कि उनकी रचनाओं में पत्रकारी शोध की कोई भूमिका नहीं थी. 1950 के दशक में लिखी गई उनकी रचनाओं में उनके अनुभवों की झलक मिलती है. 1963 के एक लेख में उन्होंने लिखा कि किस तरह एक कवि ने उनके छोटे शहर के बाहर की जिंदगी और उनकी लक्ष्यहीन जिंदगी के बारे में बताया.
नेदीन गोर्डेमर का पहला उपन्यास 'द लाइंग डेज' 1953 में छपा. उन्होंने स्वीकार किया कि इसमें कुछ आत्मकथात्मक तत्व थे. 1974 में उन्हें एक श्वेत दक्षिण अफ्रीकी के बारे में लिखे गए उपन्यास द कंजरवेशनिस्ट के लिए बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया. उनके विख्यात उपन्यासों में 1979 में छपा बर्गर्स डॉटर है जो सोवेटो विद्रोह के तीन साल बाद छपा. इस छात्र विद्रोह के बाद नस्लादी सरकार की बर्बरता से दुनिया रूबरू हुई. माना जाता है कि इस उपन्यास के केंद्र में ब्राम फिशर का परिवार है जो अपने कंजरवेटिव अतीत को छोड़कर समाजवादी आंदोलन में शामिल हो गए और उसके बाद नस्लवाद के खिलाफ संघर्ष में हिस्सा लिया.
नोबेल पुरस्कार स्वीकार करते हुए नेदीन गोर्डेमर ने कहा था कि युवा कलाकार के रूप में उन्हें इस बात का अफसोस था कि वे नस्लवाद के बहिष्कार के कारण विचारों की दुनिया से कटी हुई थीं. उन्होंने कहा कि उन्हें समझ में आ गया कि दुनिया को पाने के लिए अपनी दुनिया में पूरी तरह घुसना जरूरी है.
1994 में नस्लवाद के खात्मे के बाद हुए पहले लोकतांत्रिक चुनावों के बाद नेदीन गोर्डेमर नस्लवादी अतीत के साथ नए लोकतंत्र की मुश्किलों के बारे में लिखती रहीं. वे राजनीतिक रूप से सक्रिय रहीं और प्रगति के लिए दक्षिण अफ्रीका की तारीफ करती रहीं लेकिन साथ उम्मीदों पर अमल के लिए जोर भी डालती रहीं.
एमजे/ओएसजे (एपी)