ये है जर्मनी
वेलकम इन जर्मनी
सेर्वुस, ग्रुस गॉट (जय भगवान), मॉइन मॉइन, टाग या आडे, ये सब जर्मन में अभिवादन के तरीके हैं. हमेशा हाथ मिला कर नमस्कार करना भी जरूरी. गले मिलने के बाद किस गाल पर नहीं हवा में करें.
पहले पैदल
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बढ़ा ट्रैफिक और पदयात्रियों को बचाने के लिए बनी जेब्रा लाइनें. जर्मनी में पहली जेब्रा क्रॉसिंग 1952 में पूर्वी जर्मनी में बनाई गई. पैदल चलने वालों का नंबर हमेशा पहले.
ये देखें कि वो
1910 में पहला ट्रैफिक साइन बोर्ड बनाया गया. अब जर्मनी की 6 लाख 40 हजार किलोमीटर सड़कों पर दो करोड़ ट्रैफिक साइन बोर्ड हैं. यानी साइन बोर्डों का जंगल.
खुद भरो
यहां पेट्रोल भरने और लाइन लगाने के लिए पेट्रोल पंप पर कोई नहीं होता. खुद पेट्रोल भरो और पैसे दो. कोई कांच या गाड़ी साफ करने वाला भी नहीं. सब खुद ही करना है.
टिकट प्लीज
जर्मन समाज विश्वास पर बना है. बसों और ट्रेनों में कहीं टिकट दिखाना नहीं पड़ता. वे मान कर चलते हैं कि आपने टिकट खरीदा है. बेटिकट पकड़े जाने पर 40 यूरो यानी करीब तीन हजार रुपये का जुर्माना है.
इन पर भी ध्यान
1907 में पहली बार साइकल सवारों के लिए रास्ता बना. अब यह रोजमर्रा का है. हर सड़क पर एक पट्टी साइकल सवारों के लिए होती है.
फॉर्म ही फॉर्म
चाहे कचरे का डिब्बा लेना हो, जिला ऑफिस में कुछ काम हो, सबके लिए फॉर्म हैं. बिना उसके कोई काम नहीं होता. इस प्रवृत्ति का खूब मजाक भी उड़ाया जाता है.
सबका बीमा
जीवन हो चाहे व्यवसाय हो या बीमारी हो, सबके लिए जर्मनी में बीमा है. कुछ बीमा अनिवार्य हैं तो कुछ आपकी मर्जी पर. जैसे स्वास्थ्य और बेरोजगारी बीमा अनिवार्य में आता है.
शुद्धता
सबसे जरूरी है बीयर की शुद्धता. 1516 से नियम बनाया गया है कि बीयर में इस्तेमाल होने वाले सभी पदार्थों की शुद्धता की गारंटी होनी चाहिए.
कचरे की सफाई
हरे डब्बे में सब्जियों और बागीचे का कचरा, ग्रे में राख, पीले में प्लास्टिक, पैकिंग मटेरियल और नीले डिब्बे में कागज. हर कचरे के लिए अलग डिब्बा, कचरा इधर उधर नहीं बिखरना चाहिए.
संस्कृति से भरपूर
जर्मनी में युवाओं और बूढ़े लोगों के लिए खूब सांस्कृति कार्यक्रम हैं. जर्मनी की खासियत है यहां के 85 ओपर हाउस.