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यूरोप में बड़े बैंकों पर शिकंजा

२९ जनवरी २०१४

28 देशों के यूरोपीय संघ ने ऐसे प्रस्ताव रखे हैं, जिससे 30 बड़े बैंकों की ताकत सीमित की जाएगी. संघ का कहना है कि उनके प्रस्ताव 2008 जैसे किसी संकट से निपटने में भी कारगर होंगे. लंबे वक्त से इस नीति का इंतजार था.

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तस्वीर: Odd Andersen/AFP/Getty Images

संघ का आयोग बड़े बैंकों के जोखिम भरे कारोबार से सरकारों और करदाताओं को होने वाले नुकसान के खतरे को कम करेगा. यूरोपीय संघ के वित्तीय मामलों के कमिश्नर मिशेल बार्निये का प्रस्ताव है कि बड़े बैंक खुद अपना कारोबार नहीं कर पाएंगे. यह वह कारोबार है, जो बैंक अपने ग्राहकों के लिए नहीं बल्कि खुद अपने लिए करते हैं ताकि मुनाफा कमा सकें. बार्निये का कहना है कि इन गतिविधियों में काफी जोखिम है, लेकिन ग्राहकों या अर्थव्यवस्था का कोई फायदा नहीं है.

बैंकिंग सिस्टम में होने वाले बदलाव से 30 बड़े बैंक प्रभावित होंगे. जबकि वित्तीय सेक्टर ने इन सुधारों को सिरे से खारिज कर दिया है तो यूरोपीय सांसदों ने उन्हें अपर्याप्त बताया है. बार्निये के सुधार प्रस्ताव उन बैंकों पर लक्षित हैं जो इतने बड़े हैं कि उन्हें दिवालिया होने नहीं जा सकता, या जिन्हें बचाना बहुत महंगा होगा या जो जटिल ढांचे के कारण बंद नहीं किए जा सकते.

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बैंकिंग सिस्टम में बदलाव से 30 बड़े बैंक प्रभावित होंगेतस्वीर: dapd

संघ के फ्रांसीसी कमिश्नर का कहना है कि राष्ट्रीय नियामकों को अधिकार होना चाहिए कि वह बड़े बैंकों को जोखिम भरा कारोबार रोकने के लिए कह सकें, यदि उससे वित्तीय व्यवस्था की स्थिरता को खतरा पहुंचता हो. लेकिन बैंकों के लिए इस शर्त से बचना संभव होगा, यदि वे नियामकों को भरोसा दिला सकें कि संभावित नुकसान की भरपाई दूसरे तरीके से की जा सकती है.

अपने बड़े बैंकों को बचाने की कोशिश कर रहे जर्मनी और फ्रांस दोनों ही बार्निये के प्रस्ताव से खफा हैं और उनका कहना है कि स्थिति का मुकाबला करने के लिए उनके राष्ट्रीय कानून पर्याप्त हैं. वित्तीय सेक्टर भी बैंकों के विभिन्न कारोबारी विभागों को बांटने के खिलाफ है. बैंकों के संगठन के प्रमुख मिषाएल केमर कहते हैं, "जर्मन अर्थव्यवस्था को यूनिवर्सल बैंकों की जरूरत है और उन्हें यह चाहिए." यूनिवर्सल बैंक ऐसे बैंक हैं जो ग्राहकों का बैंक खाता चलाने के साथ साथ निवेश भी संभालते हैं. केमर कहते हैं, "यूनिवर्सल बैंकों की जानी मानी पद्धति के समाप्त होने से जर्मनी में फाइनेंसिंस की व्यवस्था को खतरा पहुंचेगा और अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा."

बार्निये की पहल का आधार यूरोपीय संघ द्वारा बनाई गई विशेषज्ञों की समिति की 2012 में पेश की गई रिपोर्ट है. उसमें बैंकों के ग्राहकों वाले हिस्से और निवेश वाले हिस्से को अलग करने की मांग की गई थी. ऐसी व्यवस्था होने पर यदि कोई बैंक बॉन्ड और निवेश के कारोबार में घाटे में रहता है तो उसकी भरपाई ग्राहकों वाली कमाई से नहीं की जा सकेगी. और न ही इस घाटे को पूरा करने के लिए करदाताओं से शुल्क लिया जाएगा.

इन प्रस्तावों को लागू करने के लिए यूरोपीय संघ के सदस्य देशों और यूरोपीय संसद को इसकी पुष्टि करनी होगी. जर्मनी और फ्रांस में इस सिलसिले में कानून हैं, जिन्हें वे ब्रसेल्स के प्रस्तावों के आधार पर बदलना नहीं चाहते. जर्मन वित्त मंत्री वोल्फगांग शॉएब्ले पहले ही कह चुके हैं, "यह बहुत ही मुश्किल मुद्दा है." लेकिन औपचारिक रूप से जर्मनी ने बार्निये के सुझावों का स्वागत किया है और उन्हें सकारात्मक बताया है.

एमजे/एजेए (एएफपी)

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