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शब्दों की लड़ाई

२८ अप्रैल २०१४

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा है कि रूस पर और प्रतिबंध सोमवार देर शाम लग सकते हैं. ओेएससीई के एक अधिकारी को स्वास्थ्य कारणों से छोड़ दिया गया है. लेकिन इस संकट की सच्चाई सामने नहीं आ पाई है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

यूक्रेन के प्रधानमंत्री आर्सेनी यात्सेन्युक रूस पर तीसरा विश्व युद्ध की योजना का आरोप लगा रहे हैं तो रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन उन्हें फासीवादी करार दे रहे हैं. यूक्रेन संकट के दौरान लोगों का मत पाने के लिए "प्रोपोगैंडा वॉर" शुरू हो गया है. हर पक्ष कह रहा है कि उसके इरादे युद्ध को टालने के हैं लेकिन घटनाओं का मतलब अपने हिसाब से निकालने के द्वंद्व में वो फंसे हुए हैं. विशेषज्ञों के लिए भी प्रचार और तथ्यों में फर्क कर पाना मुश्किल हो रहा है.

पिछले दिनों और हफ्तों में पूर्वी यूक्रेन में रूसी सैनिकों और खुफिया एजेंटों के मौजूद होने के बारे में परस्पर विरोधी खबरें चलीं. कुछ ही दिन पहले यूक्रेन की सरकार ने यूरोप के सुरक्षा और सहयोग संगठन (ओएससीई) को ऐसी तस्वीरें दिखाईं जिससे साबित हुआ कि इलाके के हथियारबंद लोग सच में रूसी सेना या खुफिया सेवा के सदस्य हैं. इसमें एक दाढ़ी वाला भी आदमी था जिसे 2008 में जॉर्जिया में देखा गया, वह उस समय अंडरग्राउंड रूसी फाइटर था. यूक्रेनी सरकार ने ट्विटर और दूसरे माध्यमों से मीडिया को ये तस्वीर भेजी.

गढ़े हुए सबूत
बाद में टाइम मैगजीन के एक पत्रकार ने इस दाढ़ी वाले फाइटर, अलेक्सांडर मोषायेव को पूर्वी यूक्रेन के स्लावियांस्क में खोज निकाला. वह इंटरव्यू के लिए तैयार भी हो गया और उसे ये सुन के बहुत मजा आया कि उसे लोग रूसी एजेंट बता रहे हैं. मोषायेव ने बताया कि वो हैं तो रूसी लेकिन कभी जॉर्जिया नहीं गए. उन्होंने अपना पासपोर्ट भी पत्रकारों को दिखाया.

जब सरकारी, विश्लेषकों या प्रत्यक्षदर्शियों के दावों की पड़ताल भी आसान नहीं. पूर्वी यूरोप पर स्वतंत्र रिपोर्टिंग करने वाले एन-ओस्ट नेटवर्क के प्रमुख हानो गुंडेर्ट बताते हैं, "मीडिया के लिए बड़ी चुनौती है कि वह प्रोपोगैंडा के कोहरे में अपने यूजर्स के लिए रोशनी लाए."

शब्द युद्ध
कई ब्रॉडकास्टर अपने शब्दों को चुन कर इस्तेमाल करते हैं. पश्चिमी मीडिया और यूक्रेन जहां कीव की अंतरिम सरकार की बात करते हैं, रूसी इसे तख्ता पलट सरकार करार देते हैं. एक पक्ष स्वप्रमाणित मेयर कहती है तो दूसरी लोगों की पसंद का मेयर. इस तरह के शब्द मत बनाते हैं. इसी तरह विषय और विशेषज्ञों के बयान भी. गुंडेर्ट दलील देते हैं कि यूक्रेन का मीडिया रूसी मीडिया की तुलना में बहुत विविध है. और उसका एक कारण यह भी है कि "मैदान अभियान" ने आलोचनात्मक रिपोर्टिंग को काफी जगह दी.

हालांकि रूसी भाषी यूक्रेनियों के सूचना का माध्यम रूसी मीडिया है. और वह मीडिया अधिकतर मामलों में क्रेमिलन के साथ चलता है. रूस में आजाद प्रेस का प्रतीक इको ऑफ मॉस्को ब्रॉडकास्टर की ततान्या फेलेनगाउर कहती हैं, "रूसी टीवी ने काफी समय से व्यावासायिक पत्रकारिता नहीं की है. वह दलील देती हैं कि क्रेमलिन एकतरफा तस्वीर पेश करना चाहता है, "कीव में सारे फासीवादी हैं और हमारे दोस्त पूर्वी यूक्रेन में हैं."

मॉस्को की नीति शायद रूस, क्रीमिया और पूर्वी यूक्रेन में सफल रही हो. गुंडेर्ट को यूक्रेन में रूसी समर्थन से आश्चर्य नहीं होता. वह कहते हैं, "ये साफ करना जरूरी है कि मीडिया के बुलबुले से बाहर निकलना यहां कितना मुश्किल है."

रिपोर्टः मार्टिन लुटिके/आभा मोंढे

संपादनः ए जमाल