युवा वैज्ञानिकों का तीर्थ लिंडाऊ
लिंडाऊ के नोबेल विजेता सम्मेलन ने इस साल अपने अस्तित्व के 65 साल पूरे किए. मौका था इतने ही वैज्ञानिकों और उसके दसगुने युवा वैज्ञानिकों को एक साथ लाने का.
पैंसठ साल का जोश
जर्मनी के शहर लिंडाऊ में 65वीं बार नोबेल विजेताओं का सम्मलेन हुआ. 1951 से हर साल यहां यह सम्मलेन हो रहा है. इस बार 650 युवा वैज्ञानिक भी आए.
बहस की जरूरत
जर्मनी के राष्ट्रपति योआखिम गाउक ने सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि विज्ञान किस हद तक इंसानी जीवन में हस्तक्षेप कर सकता है, इस पर बहस की जरूरत है.
समाज और विज्ञान
नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी इस साल विशेष अतिथि रहे. अपने भाषण में उन्होंने शिक्षा के अधिकार पर जोर दिया.
चर्चा के विषय
हर साल बैठक विज्ञान के किसी एक पहलू - फिजिक्स, केमिस्ट्री या मेडिसिन पर होती है. पांच साल में एक बार इन विषयों को मिला दिया जाता है. इस साल भी ऐसा ही हुआ.
दुनिया भर से
28 जून से 3 जुलाई तक चले सम्मलेन में इस बार 65 नोबेल विजेता शामिल हुए. उनमें पिछले साल रसायन का नोबेल पुरस्कार जीतने वाले जर्मनी के श्टेफान हेल भी थे.
अंतरिक्ष से संबोधन
पिछले साल अंतरिक्ष में शोध कर रहे जर्मन अंतरिक्षयात्री अलेक्जांडर गैर्स्ट ने अपने यान से लिंडाऊ के नोबेल विजेता सम्मेलन को संबोधित किया था.
जलवायु घोषणापत्र
लिंडाऊ पहुंचे नोबेल पुरस्कार विजेताओं ने सम्मेलन के अंत में एक जलवायु घोषणापत्र पर दस्तखत किए. यहां श्टेफान हेल दस्तखत कर रहे हैं, कैलाश सत्यार्थी कतार में हैं.
एजुकेट, इंस्पायर, कनेक्ट
इस नारे के साथ यह सम्मलेन किया जाता है. पैनल डिस्कशन के दौरान युवा रिसर्चरों के पास नोबेल विजेताओं से सवाल करने का मौका होता है.
खूबसूरत लिंडाऊ
लिंडाऊ जर्मनी के सबसे दक्षिणी छोर पर लेक कॉन्सटांस पर बसा छोटा सा टापू है जो जर्मनी, स्विट्जरलैंड और ऑस्ट्रिया की सीमा पर स्थित है.