युवाओं में बढती नशाखोरी की प्रवृत्ति
२३ मई २०१५प्रमुख औद्योगिक देशों के संगठन ओईसीडी के 34 सदस्य देशों में पिछले दो दशकों से अल्कोहल के इस्तेमाल में थोड़ी कमी आई है लेकिन खासकर युवाओं और महिलाओं में ज्यादा शराब पीने की आदत बढ़ रही है. संगठन ने अल्कोहल के दुरुपयोग को रोकने के लिए लक्षित कदमों की मांग की है.
बिंगे ड्रिंकिंग का चलन
आनन फानन में पांच से आठ ग्लास अल्कोहल पीने को बिंगे ड्रिंकिंग का नाम दिया गया है. इसका मकसद जल्द से जल्द नशे में आना होता है. जल्दबादी में किक पाने की बढ़ती रुझान के पीछे ओईसीडी यह वजह मानती है कि अल्होकल पश्चिमी देशों में पहले के मुकाबले आसानी से उपलब्ध है और अक्सर युवा लोगों को ध्यान में रखकर ही बनाया जाता है और उसकी मार्केटिंग की जाती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि संभवतः इसी का नतीजा है कि अल्कोहल के प्रति युवा पीढ़ी का रवैया बदल रहा है.
पेरिस स्थित संगठन ने अल्कोहल के प्रचार और बिक्री के नियमन के लिए सख्त कानूनों की मांग की है. इसके अलावा अल्कोहल वाले उत्पादों पर टैक्स बढ़ाने और सड़क यातायात में शराब पीकर गाड़ी चलाने के नियम का सख्ती से पालन करने की भी मांग की गई है. ओईसीडी की रिपोर्ट में कहा गया है कि अल्कोहल पीने से स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान की स्थिति में जनरल प्रैक्टिशनर समय रहते मरीजों को सलाह दे सकते हैं. ओईसीडी के अनुसार इस तररह के कदमों से जर्मनी में ही हर साल 44,000 लोगों की जान बचाई जा सकेगी.
मौत का पांचवा प्रमुख कारण
ओईसीडी के अनुसार दुनिया भर में इस बीच शराब पीना मौत और अपाहिज होने का पांचवा सबसे प्रमुख कारण बन गया है. एड्स, हिंसा और क्षय रोग की वजह से जितनी जानें जा रही हैं, उनसे ज्यादा जानें शराब पीने की वजह से जा रही हैं. ओईसीडी के महासचिव आंखेल गुरिया ने कहा है कि अत्यधिक अलकोहल के इस्तेमाल से समाज और अर्थव्यवस्था को दुनिया भर में भारी नुकसान हो रहा है. आंकड़ों के अनुसार ओईसीडी के इलाके में 15 साल से अधिक उम्र का हर व्यक्ति औसत 9.1 लीटर शुद्ध अल्कोहल का इस्तेमाल करता है, जिसका मतलब 100 बोतल वाइन या 200 बोतल बीयर है. शराब के उपभोग का वैश्विक औसत 6.2 लीटर विशुद्ध अल्कोहल है.
दूसरे देशों की तरह जर्मनी में भी बहुत ज्यादा पीने वालों का एक छोटा दल अल्कोहल का इस्तेमाल करता है. सकल उपभोग का 60 फीसदी अधिक पीने वाले 20 फीसदी लोग गटक जाते हैं. 2010 में 43 फीसदी 15 वर्षीय नौजवानों और 41 फीसदी लड़कियों ने माना था कि वे कम से कम एक बार पीकर टल्ली हो गए थे. 2002 में यह हालत 30 फीसदी लड़कों और 26 फीसदी लड़कियों की हुई थी.
एमजे/आईबी (एएफपी)