युवराज से कम नहीं अरुणिमा
२२ मई २०१३भारत की राष्ट्रीय वॉलीबॉल खिलाड़ी रह चुकीं अरुणिमा को दो साल पहले एक पैर गंवाना पड़ा. हिमालय और दुनिया की सबसे ऊंची चोटी छूने का मिशन शुरू करने से पहले उन्होंने डॉयचे वेले को बताया कि किस तरह अस्पताल का बिस्तर उनके लिए हौसले की जगह साबित हुई, "जब पैर सही थे तब एवरेस्ट पर चढ़ने का ख्याल भी नहीं आया. लेकिन विकलांगता ने कुछ कर गुजरने का हौसला दिया." शायद यही हौसला था जिससे उनका मिशन सफल रहा.
अरुणिमा के शब्दों में, "जब मैं एम्स में भर्ती थी तब बिस्तर पर लेटे हुए एक अजीब सा द्वंद्व मन में चलता था. कभी तो लगता था कि जिंदगी खत्म हो गई है, पर मन का एक कोना हथियार डालने को तैयार नहीं था."
ट्रेन से फेंका गया
साल 2011 में लखनऊ से नोएडा जाते हुए अरुणिमा को कुछ बदमाशों ने लूट पाट के बाद चलती ट्रेन से फेंक दिया था. उनका इलाज दिल्ली के एम्स में हुआ उन्हें एक पैर खोना पड़ा. इस नुकसान की कोई भरपाई नहीं कर सकता लेकिन अरुणिमा का कहना है कि ऐसा न होता तो शायद वह एवरेस्ट पर नहीं चढ़ पातीं. उन्होंने बताया कि अखबार में एवरेस्ट पर छपी एक खबर ने उनकी दुनिया बदल दी, "पहले तो वहां पहुंचने का मन हुआ, फिर अपनी बेबसी से बहुत निराशा हुई."
लेकिन जब कृत्रिम पैर लगा और वह चलने फिरने लगीं, तो एवरेस्ट की चढ़ाई जुनून बन गया, "मेरे बड़े भाई ने मेरा बहुत सहयोग किया. और युवराज सिंह की कैंसर के खिलाफ जंग और उसके बाद मैदान में वापसी की खबर ने भी हौसला बढ़ाया."
अरुणिमा के भाई ओमप्रकाश भी इस बात को मानते हैं, "हम बेहद खुश हैं. उन्हें युवराज सिंह से प्रेरणा मिली लेकिन मुझे लगता है कि अब वह खुद भी बहुतों के लिए प्रेरणा बन जाएंगी."
सफल मार्गदर्शन
अरुणिमा ने उत्तरकाशी के नेहरू पर्वतारोहण संस्थान और बाद में बछेंद्री पाल के मार्गदर्शन में जमशेदपुर के टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन में ट्रेनिंग ली. टाटा स्टील ही इस अभियान का प्रायोजक रहा. अरुणिमा ने सितंबर 2012 को तीन अन्य साथियों के साथ 21,110 फुट की ऊंचाई वाले माउंट चांगसर कांगड़ी की चढ़ाई सफलतापूर्वक पूरी की. बछेंद्री पाल एवरेस्ट पर पहुंचने वाली भारत की पहली पर्वतारोही हैं.
बछेंद्री पाल ने डॉयचे वेले से कहा कि उन्होंने अपने जीवन में किसी और को इस तरह की मेहनत करते नहीं देखा, "अरुणिमा अपने काम के प्रति काफी प्रतिबद्ध हैं. उसकी मानसिक दृढ़ता भी काफी मजबूत है."
इंग्लिस के टिप्स
कृत्रिम पैरों से दुनिया की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट पर चढ़ने वाले न्यूजीलैंड के मार्क इंग्लिस ने भी अरुणिमा के सपने में जोश भरने का काम किया. एवरेस्ट अभियान के पूर्व अरुणिमा ने मार्क से बात करके संभावित मुश्किलों के बारे में जानने समझने की कोशिश की. मार्क ने अरुणिमा को ऊंचाई और विपरीत मौसम में कृत्रिम अंगों पर पड़ने वाले प्रभावों और उससे निपटने के टिप्स दिए.
रिपोर्टः विश्वरत्न श्रीवास्तव, मुंबई
संपादनः ए जमाल