"यह खबर अच्छी नहीं लगी"
१३ अगस्त २०१०आपका वेस्टवॉच कार्यक्रम सुना. कुंवारे बाप की जीत - एक कुंवारे पिता को अपने बच्चे के पालन का अधिकार मिलने की खबर आपने सुनाई. अच्छा नहीं लगा. हमारे समाज में इसे कालिख समझा जाता है. जर्मनी या यूरोप जैसे विकसित देश इसे विकास का मापदंड मानते है. जितने लोग विकसित हैं उतने अधिक कुवारे मां और बाप. बाप रे बाप. यह बिगड़े समाज का प्रतीक ही है. जहां 35 से 67% मां कुंवारी लड़कियां है. असल में समाज को पश्चिमी सभ्यता से दूर रहना चाहिए, और दुर्भाग्य हमारा है कि हम इन देशों के पीछे लगे हुए हैं. आशा है महेशजी को यह टिप्पणी अच्छी नहीं लगेगी. पर क्या करूं जी नहीं माना, टिप्पणी कर दी.
एस.बी.शर्मा, जमशेदपुर, झारखण्ड
आज के कार्यक्रम मैच प्वाइंट में अनवरजी द्वारा प्रस्तुत दुनिया के अजीबो गरीब खेलों की जानकारी सुनने को मिली और बताई गई बुल राइडिंग, पत्नी को कंधे पर उठा कर दौड़ने, टमाटर फेंकने, मोबाइल फेंकने जैसी जानकारी काफी हट के थीं और सुनते वक़्त काफी मनोरंजन हुआ. लाइफ़लाइन कार्यक्रम में लाफ्टर योग से कैदियों के मन को बहलाने की कोशिश और उससे होने वाले असर के बारे में किशोरजी के विचार काफी लाभदायक लगे. एन्जाइम्स की वॉशिंग पाउडर बनाने में मदद इस विषय पर रिपोर्ट भी काफी अनोखी थी.
संदीप जावले, मार्कोनी डी एक्स क्लब, परली वैजनाथ, महाराष्ट्र
मैं आप लोगों के कार्यक्रमों को नियमित रूप से सुन रहा हूं और आप लोगों की हिन्दी वेबसाइट को भी रोज़ देखता हूं. डायचे वेले हिन्दी सर्विस की वेबसाइट में 'सरकार शुरू करेगी क्वीज़ शो, सवाल एक करोड़ का' शीर्षक वाला एक रोचक और उपयोगी समाचार पढ़ने को मिला. आज भी सरकार की ग्रामीण विकास से सम्बंधित योजनाओं के बारे में लोगों को कम जानकारी होती है. केबीसी की तर्ज़ पर आरम्भ किये जाने वाले इस क्वीज़ शो से ग्रामीण जनता अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करेंगी और ईनाम भी जीतेंगी. सरकार का यह कदम सार्थक और स्वागत योग्य है. इसे दूरदर्शन चैनल से ही प्रसारित किया जाना चाहिए. यह लोक रुचि समाचार सबसे पहले मुझे डायचे वेले की वेबसाइट में पढ़ने को मिला, इसके लिए आप सब का हार्दिक धन्यवाद.
चुन्नीलाल कैवर्त, ग्रीन पीस डी एक्स क्लब सोनपुरी, जिला बिलासपुर, छत्तीसगढ़
आपकी वेबसाइट पर सवाल एक करोड़ का सम्बन्धी रिपोर्ट पढी. केबीसी की तर्ज़ पर इसे शुरू करने का सरकार का इरादा तो नेक है, पर कितने गांवों और ग्रामीणों का इस से भला होगा, इसमें संदेह है क्योंकि भारत में नौकरशाही ही सरकारी कार्यक्रमों में सबसे बड़ी बाधक है.
माधव शर्मा, निखा जोधा, जिला नागौर, राजस्थान
जर्मन भाषा पाठमाला कार्यक्रम हम और क्लब सदस्य नियमित सुनते हैं लेकिन हमारे विचार मैं रेडियो से जर्मन भाषा सीखी जा सकती है मगर इसके लिए काफी समय की आवश्यकता है. यद्यपि हमारा प्रयास जारी है आज नहीं तो कल हमें पूर्ण विश्वास है कि हमें सफलता मिल के रहेगी.
सकी अबिदी, डीडब्ल्यू लिस्नर्स नेटवर्क, आजमगढ़, उत्तर प्रदेश
खो गए दादा दादी - यह समाचार मैंने कुछ दिन पहले रेडियो जापान पर काफी विस्तार से सुना था, लेकिन आपके प्रस्तुतीकरण का अंदाज़ एकदम निराला है. पहले से सुने समाचार में भी मुझे नवीनता मिली और पूरा समाचार पढ़ने को विवश होना पड़ा. वाह क्या अंदाज़ है.
प्रमोद महेश्वरी, शेखावाटी रेडियो और इन्टरनेट यूज़र्स क्लब, फतेहपुर-शेखावाटी, राजस्थान
संकलनः विनोद चढ्डा
संपादनः ए जमाल