यहां जेल की सलाखों के पीछे होती है सौंदर्य प्रतियोगिता
जेल में कैदियों को एक बेहतर इंसान बनाने की तमाम कोशिशें की जाती हैं. लेकिन ब्राजील में एक जेल ऐसी भी है जहां महिला कैदियों के लिए सौंदर्य प्रतियोगिता होती है. साथ ही विजेताओं को बतौर इनाम ब्यूटी गिफ्ट भी दिये जाते हैं.
सजती महिलाएं
तस्वीर में नजर आ रही यह महिला कैदी ब्राजील के शहर रियो डी जिनेरियो की जेल में होने वाली सौंदर्य प्रतियोगिता के लिए तैयार हो रही है. महिला कैदी रैंप पर जलवे बिखेरने के लिए बाहर से आये इन वॉलिंटयर्स की मदद लेती हैं जो इनकी स्टाइलिंग और मेकअप का खास ख्याल रखते हैं.
यूनिफॉर्म नहीं गाउन
प्रतियोगिता के पहले ऐसा ही आलम रहता है. यहां कैदी कोई यूनीफॉर्म नहीं बल्कि खूबसूरत गाउन में नजर आते हैं. कुल 440 प्रतिभागियों में से 10 ही अंतिम राउंड में जा सकी हैं. खास बात यह है कि विजेता का चुनाव महज उसके आकर्षक व्यक्तित्व से नहीं बल्कि उसके अच्छे व्यवहार और आचरण से भी होगा.
गर्व का अहसास
इस जेल में रह रही अधिकतर महिलाएं ड्रग्स से जुड़े अपराधों में सजा काट रही हैं. ब्राजील के न्याय मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, जेल में रह रही महिलाओं की संख्या साल 2000 से 2014 के बीच तकरीबन 600 फीसदी तक बढ़ी है. ऐसे में हर साल होने वाली यह प्रतियोगिता इन कैदियों को रोजमर्रा की जिदंगी से ब्रेक भी देती है.
होते है कई राउंड
विजेता घोषित करने से पहले जूरी की निगाहें "गाउन" और "बीच फैशन" का लुक लेकर आयी इन प्रतिभागियों पर बनी रहती हैं. इनका रंग-रूप, चालढाल, व्यक्तित्व, आचरण सब पर जूरी विचार करती है. जीतने वाले को पंखा, दूसरे स्थान पर आने वाले को हेयर ड्रायर और तीसरे स्थान वाले को स्टाइलिंग आयरन दिया जाता है.
समाज की ओर कदम
जेल के अधिकारियों का तर्क है कि इस तरह से रेड कार्पेट पर अपने अन्य साथियों के सामने चलना इनमें आत्मविश्वास तो भरता ही है, साथ ही इन्हें आत्मसम्मान का अहसास भी होता है. ये आत्मविश्वास और आत्मसम्मान का भाव जेल के बाहर जिंदगी गुजारते वक्त इनके काम आयेगा.
माय सोल इज फ्री
इस साल की प्रतियोगिता जीती है तस्वीर में दाई ओर नजर आ रही मयाना अल्वीस ने. यहां भी विजेता की ताजपोशी पिछली प्रतियोगिता की विजेता ही करती है. पिछली विजेता मिशेल रेंगल ने कहा, "इस पल मुझे अहसास ही नहीं हो रहा है कि मैं जेल में हूं. माय सोल इज फ्री"
सुखद अहसास
इस साल की विजेता मयाना अल्वीस अपने शरीर पर बने इन टैटू की तरफ खास इशारा करती हैं. उन्होंने कहा, "हां मैं आजादी को ही तवज्जो दूंगी लेकिन जाते वक्त मैं अपने साथ इस इनाम को लेना जाना चाहूंगी." अल्वीस इसलिए भी खुश है क्योंकि इस कार्यक्रम में उनकी मां भी मौजूद थी.
हर कोई विजेता
जाहिर तौर पर पहला इनाम पाने वाले विजेता को एक अलग ही रुतबा महसूस होता है लेकिन इसका लाभ सभी प्रतिभागियों को होता है. प्रतियोगिता का सबसे अच्छा पल इनके लिए वहीं होता है जब इस पूरे इवेंट के बाद ये अपने परिवार से मिलते हैं. तस्वीर में नजर आ रही महिला कैदी का अपने बच्चों से यहां मिलना संभव हो पाया. (निकोलस मार्टिन)