यमन में सऊदी-ईरान युद्ध
२८ मार्च २०१५सऊदी अरब को डर है कि उसका पड़ोसी यमन कहीं ईरान के प्रभाव में न आ जाए. इसी आशंका के चलते सऊदी अरब की अगुवाई में संयुक्त सेनाओं ने यमनी सेना और हॉसी विद्रोहियों पर हवाई हमले शुरू किए. संयुक्त सेना ने यमनी सेना और शिया हॉसी विद्रोहियों की चौकियों को निशाना बनाया.
सऊदी अरब की बेचैनी
संयुक्त सेनाओं ने राजधानी सना के राष्ट्रपति आवास पर भी हमले किए. आवास, सितंबर 2014 से हॉसी विद्रोहियों के सैन्य कमांडर मोहम्मद अली हॉसी के कब्जे में है. इसी साल फरवरी में हॉसी ने अब्द रब्बाह मंसूर हादी का तख्ता पलट कर खुद को राष्ट्रपति घोषित किया. तख्ता पलट के दौरान सऊदी अरब, हादी को बचाकर निकालने में सफल हुआ. खाड़ी के कई सुन्नी बहुल देशों को लगता है कि पूर्व राष्ट्रपति अब्द रब्बाह मंसूर हादी ही यमन में ईरान के प्रभाव को रोक सकते हैं. तेहरान पर हॉसी विद्रोहियों को समर्थन देने के आरोप हैं.
लेबनान में शिया सरकार और इराक में बढ़ते शिया प्रभाव से सऊदी अरब बेचैन है. सऊदी राजशाही यमन में तेहरान के बढ़ते प्रभाव को किसी भी कीमत पर रोकना चाहती है. सऊदी सीमा से सटे सादा शहर को हॉसियों का गढ़ माना जाता है. यमन की एक समाचार वेबसाइट के मुताबिक सादा पर रात में हमले किए गए. इससे पहले भी 2009 में सऊदी अरब ने हॉसी समुदाय पर हमले किए थे.
दुविधा में पाकिस्तान
भारत समेत कई देशों ने अपने नागरिकों को तुरंत यमन छोड़ने की सलाह दी है. वहीं शिया-सु्न्नी झगड़े में बदल चुके यमन विवाद को लेकर सऊदी अरब ने गुटबंदी भी तेज कर दी है. सऊदी अरब ने अपनी संप्रभुता के खतरे का हवाला देते हुए पाकिस्तान से सैन्य मदद मांगी है. पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने शुक्रवार को कहा, "इस युद्ध में शामिल होने को लेकर हमने कोई फैसला नहीं लिया है. हम कोई वादा नहीं करना चाहते. हमने यमन में सऊदी अरब की अगुवाई वाली संयुक्त सेना को किसी तरह का सैन्य सहयोग देने का वादा नहीं किया है."
पूर्व क्रिकेटर और तहरीक ए पाकिस्तान पार्टी के प्रमुख इमरान खान ने अपनी सरकार को यमन विवाद से दूर रहने की सलाह दी है. पाकिस्तान खुद भी आतंकवाद और सांप्रदायिक हिंसा से झुलस रहा है. रक्षा मंत्री के मुताबिक सीरिया, यमन और इराक में जो कुछ हो रहा है कि उसकी जड़ें पाकिस्तान में भी है और इस्लामाबाद नहीं चाहता कि उन्हें छेड़ा जाए.
यमन में छिड़े संघर्ष के सहारे सऊदी अरब अमेरिका पर भी दबाव बनाना चाहता है. इस्राएल के भारी विरोध के बावजूद अमेरिका तेहरान के साथ परमाणु समझौते पर बातचीत कर रहा है. यमन की लड़ाई के जरिए सऊदी अरब भी अप्रत्यक्ष रूप से इस परमाणु समझौते को रोकना चाहता है.
ओएसजे/एमजे (डीपीए, रॉयटर्स)